वैकल्पिक विषय इतिहास
प्रश्न-पत्र विभाजन
परीक्षा उपयोगी दृष्टि से उपयोगी विषय वास्तु
1. प्राचीन भारत :-
- 6ठी शताब्दी से पूर्व/महाजनपद काल तक विकास
- मगध, मौर्य, मौर्योन्तर,गुप्त, गुप्तोत्तर , राजपूत काल
- दक्षिण भारत (महापाषाण, संगम, चोल)
2. मध्यकालीन भारत :-
- सल्तनत काल
- मुगल काल
- भक्ति, सूफी
- विजयनगर, बहमनी
- मराठा
3. आधुनिक भारत :-
- अंग्रेजी राज की स्थापना
- शासन व अधिनियम
- किसान जनजाति आंदोलन
- कांग्रेस व राष्ट्रीय आंदोलन
- साम्प्रदायिक राजनीति
- नेतृत्व व गवर्नर जनरल
- समाज व धर्म सुधार
- 1947 के बाद
4. विश्व इतिहास :-
- पुर्नजागरण व प्रबोधन
- अमेरिका, फ्रांस, औघोगिक क्रांति
- चीन व रूस की क्रांति
- एकीकरण, इटली, जर्मनी
- विश्व युद्ध
- शीत युद्ध, युद्धोत्तर विश्व
इतिहास की तैयारी कैसे करें
महत्वपूर्ण बिन्दू :-
- ’फोकस’ विषयवस्तु का विभाजन अध्ययन में प्रमुखता वाले ’टॉपिक’ पर केन्द्रित है, साथ ही इसमें पूर्व में पूछे गए प्रश्नपत्रो को भी विश्लेषित किया गया है।
- सम्पूर्ण पाठ्यक्रम का इस किस्म का विभाजन विषय - वस्तु की समझ, घटनाओं की परस्पर तारतम्यता व संबंध को बनाने में मददगार है।
- इतिहास में घटनाओं व तथ्यों के परस्पर संबंध को उत्तर में स्थापित करना तथा उसे वर्तमान एक से जोड़ देना एक अच्छे उत्तर के रूप में स्वीकारा जाता है।
- इतिहास यघपि देखने में एक बडा विषय है किन्तु यदि एक बार यह सबंध - स्थापना की कला हासिल हो जाए तो इतिहास बहुत रोचक बन जाता है।
- ’संबंध स्थापना’ की यह प्रक्रिया इतिहास को बार - बार पढने से ही संभव है जिसके लिए पाठ्य सामग्री का चयन सर्वाधिक महत्वूर्ण है।
- पाठ्यसामग्री चयन में कोचिंग के नोट्स मददगार तो है, लेकिन प्रश्नो की विविधता (विगत वर्षो के प्रश्नपत्रो) ने इनकी उपयोगिता सीमित कर दी है अतः नोट्स के साथ - साथ पुस्तके महत्वपूर्ण व अनिवार्य है।
- अध्ययन के दौरान पिछले प्रश्नपत्रो को सदैव साथ रखना व प्रश्नो की प्रकृति को समझना, इतिहास के अध्ययन को आसान बनाता है। प्रायः यह भांति है, कि इतिहास तो केवल युद्वो व राजाओ के नाम तक सीमित है, तथा तथ्यो की भरमार के अलावा कुछ नहीं है, जिसे याद रखना कठिन होता है लेकिन यदि प्रश्नपत्रो का विश्लेषण करें तो उचित तथ्य व उपयोगी तथ्य स्पष्ट होने लगते है।
- इतिहास सर्वाधिक सहज विषय है, जिसमें किसी पूर्व ज्ञान की अपेक्षा नहीं है, न ही किसी प्रकार के सिद्वांत अथवा जटिल संकल्पनाओं को जानने समझने की जरूरत है, अतः इतिहास की पृष्ठभूमि के बिना भी इतिहास में रूचि के आधार पर इस विषय का चयन किया जा सकता है।
- जहां तक प्रश्न की बात है, इतिहास विषय के पिछले प्रश्नपत्र लगभग समान स्तर को follow करते रहे है और अन्य विषयो की भांति जटिलता अथवा प्रश्नो को समझने की कठिनाई आदि से मुक्त रहे है अतः एक प्रकार की सुनिश्चितता केवल इस विषय में ही उपलब्ध है।
- प्रथम प्रश्नपत्र में 50 अंक का मानचित्र का प्रश्न इतिहास में 200+ अंक सुनिश्चित कर देता है जो प्रायः 35+/50 अंक आसानी से दिला देता है।
- हिन्दी माध्यम मे ’इतिहास’ एकमात्र ऐसा विषय है जिसमें पाठ्य सामग्री क अभाव की समस्या नहीं है अतः हिन्दी माध्यम से परीक्षा देने वाले अभ्यर्थी इस क्रम से व अंग्रेजी माध्यम क भय से बचे रह सकते है।
- इतिहास विषय सीधे रूप में GS के प्रथम पत्र में मददगार है, क्योंकि 7 से 8 प्रश्न सीधे इतिहास के होते है जो विषय की गहराई व समझ के आधार पर ही हल किए जा सकते है।
- इतिहास के पक्ष में महत्वपूर्ण लक्ष्य यह भी है, कि इसे नवीनतम घटनाक्रमो अथवा नवीनतम सूचनाओं से निरंतर अपडेट करते रहना आवश्यक नहीं रहता अतः एक निश्चित सामग्री का ही बार बार अध्ययन विषय पर पकड व समझ को मजबूत बना देता है।
पाठ्य सामग्री
प्राचीन भारत
- NCERT - रामशरण शर्मा (OLD)
- प्राचीन भारत का इतिहास : झा एवं श्रीमाली (publisher - हिंदी माध्यम कार्यान्वयन निदेशालय)
- के.सी. श्रीवास्तव
- हेंमन्त झा ( प्रिंटेड नोट्स )
मध्यकालीन भारत
- NCERT - सतीश चंद्रा (OLD)
- सतीश चंद्रा (Vol I) & सतीश चंद्रा (Vol II)
- H C वर्मा (Vol I) & H C वर्मा (Vol II)
- हेमन्त झा/ मणिकांत सिंह ( प्रिंटेड नोट्स )
आधुनिक भारत
- NCERT (विपिन चंद्रा - वसक )
- ग्रोवर और यशपाल
- भारत का स्वतंत्रता संघर्ष : बिपिन चन्द्र
- आजादी के बाद का भारत : विपिन चन्द्र मृदुला मुख़र्जी, आदित्य मुख़र्जी या भारत: गांधी के बाद – रामचंद्र गुहा
विश्व इतिहास