In news:
कच्चे तेल का 65 डॉलर प्रति बैरल को पार कर गया है. ब्रेंट क्रूड आयल का मौजूदा 65.25 डॉलर प्रति बैरल का भाव पिछले 31 महीने का सर्वोच्च स्तर है. इससे पहले जून 2015 में कच्चा तेल अभी से ज्यादा महंगा हुआ था. वहीं पिछले छह माह में ही इसकी कीमत 47 फीसदी से ज्यादा बढ़ चुकी है.
जानकारों के अनुसार तेल निर्यातक देशों के प्रमुख संगठन ओपेक और रूस द्वारा पिछले दिनों उत्पादन में की गई कटौती इसके महंगे होने का प्रमुख कारण है. इन देशों ने तेल बाजार में तेल के भंडार कम करने और कीमतें बढ़ाने के लिए यह कटौती की थी. दो साल तक चलने वाली यह कटौती जनवरी 2017 से दिसंबर 2018 तक प्रभावी रहने वाली है. दूसरी ओर दुनिया में आर्थिक विकास दर तेज होने से कच्चे तेल की मांग लगातार बढ़ रही है. अनुमान है कि अगले डेढ़-दो साल में इसकी मांग 10 करोड़ बैरल प्रतिदिन तक चली जाएगी. फिलहाल यह मांग करीब आठ करोड़ बैरल प्रतिदिन है.
इस बीच कच्चे तेल के दाम बढ़ने से केंद्र सरकार की परेशानियां बढ़ने की आशंका है. राजकोषीय घाटे और महंगाई दोनों को घटाने का सरकार का लक्ष्य कच्चा तेल महंगा होने से बाधित होता दिख रहा है. केंद्र सरकार ने राजकोषीय घाटे को मौजूदा वित्त वर्ष में जीडीपी के 3.2 फीसदी और 2018-19 में तीन फीसदी तक कम करने का लक्ष्य रखा है. वहीं महंगाई को मार्च 2018 तक घटाकर चार फीसदी करने का लक्ष्य रखा गया है