एशियाई विकास बैंक ने जीडीपी वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 6.7 प्रतिशत किया

 

बैंक ने सुस्त वृद्धि दर, नोटबंदी व जीएसटी से उत्पन्न चुनौतियों को ज़िम्मेदार ठहराया.  एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने चालू वित्त वर्ष के लिए भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को 0.3 प्रतिशत घटा दिया है. बैंक ने इस वर्ष जीडीपी वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है.

  • एडीबी ने इसके लिए पहली छमाही में सुस्त वृद्धि दर, नोटबंदी और कर क्षेत्र में सुधारों के कारण उत्पन्न चुनौतियों को ज़िम्मेदार ठहराया है.
  • बैंक ने अगले वित्त वर्ष के लिए जीडीपी के अनुमान में भी बदलाव किया है. मार्च 2018 से शुरू होने वाले वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है. पहले इसके 7.4 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था.
  • एडीबी ने वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि और निजी क्षेत्र में सुस्त निवेश को इसके लिए ज़िम्मेदार बताया है.
  • एडीबी ने अपनी रपट एशियाई विकास परिदृश्य में कहा, ‘2017-18 की पहली छमाही में वृद्धि दर सुस्त रहने, नोटबंदी का प्रभाव, जीएसटी लागू किए जाने से उत्पन्न चुनौतियों और 2017 में असमान मानसून की वजह से कुछ कृषि जोखिमों के कारण अर्थव्यवस्था के 6.7 प्रतिशत की दर से आगे बढ़ने का अनुमान है. इससे पहले वृद्धि दर सात प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया था.’
  • एडीबी ने वित्त वर्ष 2017-18 की शेष बची दो तिमाही में जीडीपी की वृद्धि दर में सुधार होने का अनुमान जताया है.
  • बैंक ने कहा कि सरकार की ओर से माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर आने वाली दिक्कतों को कम करने के उठाए गए कदमों के साथ-साथ बैंक पुनर्पूंजीकरण के कारण जीडीपी में सुधार देखने को मिल सकता है.
  • एशियाई विकास बैंक (एडीबी) ने नोटबंदी के प्रतिकूल प्रभावों, वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की चुनौतियों तथा कृषि को मौसम संबंधी जोख़िमों का हवाला देकर चालू वित्त वर्ष के लिए देश का आर्थिक विकास पूर्वानुमान सात प्रतिशत से कम कर 6.7 प्रतिशत कर दिया है. इसके कारण निवेशकों का उत्साह ठंडा पड़ा.
  • सरकार की ओर से जारी ताज़ा वृहद आर्थिक आंकड़े भी अनुकूल नहीं हैं. जारी आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन वृद्धि अक्टूबर में तीन महीनों के निचले स्तर 2.2 प्रतिशत पर आ गई.
  • नवंबर में खुदरा महंगाई भी 15 महीने के उच्चतम स्तर 4.88 प्रतिशत पर पहुंच गई. मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ने से निकट भविष्य में नीतिगत ब्याज दर घटाए जाने की संभावना और क्षीण हो गई है.

निवेशकों ने अमेरिकी फेडरल रिज़र्व की दो दिवसीय नीतिगत बैठक के परिणामों की प्रतीक्षा के कारण भी सावधानी बरती है.

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