जीएसटी युग के पहले आठ महीने में अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि


    महालेखा नियंत्रक (सीजीए) से उपलब्ध नवम्बर, 2017 तक के केंद्रीय सरकार के वित्तीय आंकड़ों से पता चलता है कि चालू वर्ष 2017-18 के पहले आठ महीनों के दौरान सकल कर संग्रहण पर्याप्तः सही दिशा में है तथा गैर-कर राजस्व में धीमी गति के लिए काफी हद तक विनिवेश प्रतिपूर्ति में बेहतर प्रगति हुई है। केन्द्र की प्रत्यक्ष कर वसूली में वृद्धि पिछले वर्ष के अनुरूप रही है और 13.7 प्रतिशत की वृद्धि दर के साथ इसके लक्ष्य पर खरा उतरने की उम्मीद है जबकि अप्रत्यक्ष करों में अप्रैल-नवम्बर, 2017 के दौरान 18.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
    इस वर्ष के दौरान प्रत्यक्ष करों में अंतिम प्राप्ति केन्द्र तथा राज्यों के बीच जीएसटी लेखों के अंतिम समाशोधन पर निर्भर करेगी तथा सम्भावना है कि केवल 11 महीनों के कर (आयातों पर आईजीएसटी को छोड़कर) जारी किए जाएंगे। अप्रैल-नवम्बर, 2017 के दौरान करों में राज्यों के हिस्से में 25.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई जो 12.6 प्रतिशत की शुद्ध कर राजस्व (केन्द्र को) की वृद्धि  तथा 16.5 प्रतिशत के सकल कर राजस्व से काफी ज्यादा है।
    अप्रत्यक्ष करदाताओं की संख्या में 50 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, स्वैच्छिक पंजीकरण में, विशेषतः लघु उद्यमियों द्वारा, जो बड़े उद्यमियों से खरीद करते हैं तथा इन्पुट कर क्रेडिट की सुविधा का लाभ उठाने के इच्छुक हैं, काफी वृद्धि हुई है।
     राज्यों के बीच जीएसटी वसूली का वितरण उनकी अर्थव्यवस्थाओं के आकार, बड़े उत्पादक राज्यों के इस  भय की निवृत्ति से अत्यधिक जुड़ा है कि नई पद्धति अपनाने से उनकी कर वसूली कम आँकी जाएगी। राज्यों के अन्तर्राष्ट्रीय निर्यात आंकड़ों (भारत के इतिहास में पहली बार) से पता चलता है कि निर्यात निष्पादन तथा राज्यों के जीवन स्तर के बीच गहरा सम्बन्ध है। 
    भारतीय निर्यात इस दृष्टिकोण से असामान्य है कि अन्य तुलनात्मक देशों की अपेक्षा बड़ी फर्मों की निर्यातों में भागीदारी बहुत कम है। भारत का आन्तरिक व्यापार जीडीपी का लगभग 60 प्रतिशत है, जो पिछले वर्ष के सर्वेक्षण में अनुमान से कही अधिक है तथा अन्य बड़े देशों से काफी हद तक बेहतर है। भारत का औपचारिक क्षेत्र, विशेषतः औपचारिक गैर-फार्म पे-रोल इस समय जैसा समझा जाता है उससे कही अधिक है। सामाजिक सुरक्षा व्यवस्था के दृष्टिकोण से औपचारिक गैर-कृषि कार्यबल  के 31 प्रतिशत के लगभग औपचारिक क्षेत्र पे-रोल का अनुमान है जबकि जीएसटी तंत्र के हिस्से के रूप में औपचारिकता की दृष्टि से औपचारिक क्षेत्र पे-रोल का 53 प्रतिशत हिस्सा बनता है।
    बजट क्रम तथा प्रक्रियाओं के एक महीना पूर्व शुरू किए जाने, खर्च करने वाली एजेंसियों को अग्रिम योजना बनाने तथा वित्त वर्ष में इसका कार्यान्वयन शीघ्र शुरू करने का पर्याप्त अवसर मिलेगा जिससे केन्द्रीय खर्च में तेजी आएगी।


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