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अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दर में एक बार फिर चौथाई फीसदी की वृद्धि कर दी है. इसके साथ ही अमेरिका में केंद्रीय बैंक की ब्याज दर 2008 के बाद सर्वोच्च स्तर (दो फीसदी) तक पहुंच गई है. यह बढ़ोतरी 2018 की दूसरी जबकि 2017 से छठी है. यही नहीं, फेडरल रिजर्व की ताजा बैठक में एक बार फिर संकेत दिया गया है कि इस साल ब्याज दर दो बार और बढ़ाई जा सकती है. ऐसा हुआ तो 2018 के अंत तक अमेरिका की ब्याज दर 2.5 फीसदी तक पहुंच जाएगी.
- यह अमेरिकी अर्थव्यवस्था में मजबूती आने का संकेत है. माना जा रहा है कि इस संकेत से भारत के विदेशी निवेश के बाहर निकलने का खतरा और बढ़ जाएगा. 2018 में विदेशी निवेश की रफ्तार सुस्त पड़ने से पहले से परेशान चल रही मोदी सरकार की दुश्वारियां इससे और बढ़ सकती हैं. हालांकि भारत के साथ पूरी दुनिया को अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने के बारे में मिले रहे संकेतों से काफी राहत मिलने की भी उम्मीद है.
- अमेरिकी अर्थव्यवस्था के मजबूत होने से भारतीय अर्थव्यवस्था पर कई अच्छे और बुरे असर पड़ने वाले हैं. अमेरिका की विकास दर और रोजगार के सुधरने से वहां मांग बढ़ेगी जिससे भारत से होने वाला निर्यात बढ़ सकता है.
- हालांकि निवेशक अब भारत के बजाय अमेरिका को ज्यादा तवज्जो दे सकते हैं क्योंकि अब उन्हें अमेरिका में निवेश करने पर पहले से ज्यादा रिटर्न मिलेगा. इससे भारत के कारोबारियों को धन जुटाने में परेशानी हो सकती है.
- यही नहीं, इससे भारत में पहले से निवेश किया हुआ धन भी अमेरिका लौट सकता है. इससे देश में डॉलर की मांग बढ़ेगी जिससे डॉलर की तुलना में रुपया और कमजोर हो सकता है. इससे हमारा आयात और महंगा हो जाएगा जिससे हमारे यहां महंगाई बढ़ सकती है. इससे भारत की विकास दर थोड़ा प्रभावित हो सकती है.