भारत का व्यापार घाटा पांच साल के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गया है. वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के अनुसार बीते जून में यह 16.6 अरब डॉलर रहा. मई में इसका आंकड़ा 14.62 अरब डॉलर था. इसकी वजह कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी और कमजोर हो रहे रुपये को माना जा रहा है. भारत अपनी जरूरत का 80 फीसदी तेल आयात करता है. जून में भारत ने 12.72 अरब डॉलर का कच्चा तेल आयात किया. मई में यह आंकड़ा 11.5 अरब डॉलर था.
उधर, निर्यात के मामले में इस बार के आंकड़े पहले से बेहतर हैं. इनके मुताबिक देश का निर्यात जून में 17.57 फीसदी बढ़कर 27.7 अरब डॉलर पर पहुंच गया है. पेट्रोलियम उत्पादों, रसायनों, फार्मास्यूटिकल्स, रत्न और आभूषण सहित इंजीनियरिंग से जुड़े सामान के निर्यात में बढ़ोतरी हुई है.
व्यापार घाटा क्या होता है?
आयात अगर निर्यात से ज्यादा हो तो वह व्यापार घाटा कहलाता है. निर्यात और आयात का देश की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान होता है. आयात में बढ़ोतरी का मतलब है देश से धन का बाहर जाना. इसलिए हर देश की यह कोशिश होती है कि उसका निर्यात उसके अायात के बराबर हो या उससे ज्यादा ही हो.