भारत का विदेशी मुद्रा भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है। विदेशी मुद्रा भंडार 400 अरब डॉलर को पार कर गया है। खास तौर से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश परियोजनाओं और पोर्टफोलियो में सीधे निवेश से हुआ है। आंकड़ों के मुताबिक, बीते करीब साढ़े तीन साल में विदेशी मुद्रा भंडार में 100 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है। खास तौर से पहली तिमाही में विदेशी मुद्रा भंडार में 6.6 अरब डॉलर की बढ़ोतरी देखी गई है।
=>रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा विदेशी मुद्रा भंडार
अप्रैल 2014 में भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 300 अरब डॉलर को पार किया था, इसके बाद मौजूदा 100 अरब डॉलर का आंकड़ा हासिल करने में करीब साढ़े तीन साल लगे हैं।
वैश्विक वित्तीय संकट का असर भारतीय रुपए और अर्थव्यवस्था पर उस तरह से नहीं और विदेशी मुद्रा भंडार 300 अरब डॉलर के पार पहुंचा था। इसका मौजूदा स्तर एक साल से ज्यादा समय तक आयात के लिए पर्याप्त है।
=>विदेशी मुद्रा भंडार रैंकिग में 6वें नंबर पर पहुंचा भारत
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की ओर से जारी किए गए आंकड़े के अनुसार, विदेशी पूंजी भंडार का सबसे बड़ा घटक विदेशी मुद्रा भंडार आलोच्य सप्ताह में 256.85 करोड़ डॉलर बढ़कर 376.20 अरब डॉलर हो गया है, जो 24,023.9 अरब रुपये के बराबर है।
RBI के मुताबिक, विदेशी मुद्रा भंडार को डॉलर में व्यक्त किया जाता है और इस पर भंडार में मौजूद पाउंड, स्टर्लिग, येन जैसी अंतर्राष्ट्रीय मुद्राओं के मूल्यों में होने वाले उतार-चढ़ाव का सीधा असर पड़ता है।
=>चीन और जापान सबसे आगे
सितंबर 2016 में उर्जित पटेल ने भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर के रूप में पदभार संभाला था, तब से लेकर अब तक इसमें 30 अरब डॉलर की वृद्धि हुई है।
विदेशी मुद्रा भंडार में सबसे अधिक हिस्सेदारी फॉरेन करेंसी एसेट (एफसीए), ड्रॉइंग राइट्स और सोने की है। विदेशी मुद्रा भंडार में हुए इजाफे के बाद उम्मीद है कि वैश्विक बाजारों में आने वाले किसी भी तरह के संकट से ये मुकाबला कर सकता है।
भारत अब विदेशी मुद्रा भंडार रैंकिग में 6वें नंबर पर है। इस सूची में चीन और जापान सबसे आगे हैं। भारत इस रैंकिंग में ताइवान, ब्राजील और यूरो जोन से आगे है।