देश के बेरोजगार युवकों को तमाम तरह की नौकरियों के लिए नैशनल करियर सेंटर ( national career service center) बनाने की सरकार की महत्वाकांक्षी योजना तीन साल बाद तय लक्ष्य के अनुरूप सफलता पाने में विफल रही है। इसके गठन के बाद जितनी बड़ी में यहां युवाओं ने अपने नाम रजिस्टर्ड कराए, उससे बहुत कम संख्या में उन्हें नौकरियां मिलीं। असर यह हुआ कि अब यहां पर अपने नाम रजिस्टर्ड कराने में भी युवाओं की दिलचस्पी घटती जा रही
About national career service center Scheme
2015 में सरकार ने 100 करोड़ की महत्वाकांक्षी नैशनल करियर सेंटर ( national career service center) की स्थापना की थी। इस सेंटर को इम्प्लॉइमन्ट एक्सचेंज के आधुनिक ड्राफ्ट के रूप में पेश किया गया था। दावा किया गया था कि इस सेंटर से ही देश में सरकारी-प्राइवेट हर तरह की नौकरियां मिलेंगी। युवाओं को यहां वन विंडो सिस्टम की सुविधा मिलेगी। उम्मीद थी कि इस सेंटर से हर साल लगभग 50 लाख जॉब तक की संभावना निकलेगी। लेकिन हकीकत इससे कहीं अलग है।
एक साल बाद ही पड़ी नोटबंदी की मार
सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2015 से लेकर जनवरी 2018 तक इस सेंटर पर 8 करोड़ 50 लाख युवाओं ने नौकरी की उम्मीद में अपने नाम रजिस्टर्ड कराए। यहां इनके लिए मात्र 8 लाख 9 हजार नौकरियों की सूचना आई।
अधिकतर नौकरी हाई स्कूल लेवल की और निजी कंपनियों की ओर से आए थे। इनमें भी अधिक नौकरी 2015-16 में निकली और अगले साल इसकी संख्या आधी से भी कम हो गई। यह नोटबंदी के बाद का समय था। इसके बाद इस सेंटर पर रजिस्टर्ड कराने वाले युवकों की संख्या में भी लगातार कमी आ रही है।
2015 में केंद्र सरकार ने बड़े दावों और अपेक्षाओं के साथ नैशनल करियर सेंटर शुरू किया था। सरकार ने इस सेंटर के खोलने के बाद इसे स्थापित करने में बड़ी निजी कंपनियों से भी मदद करने का आग्रह किया था। इसके तहत तीन दर्जन शहरों में नैशनल करियर सेंटर खोलने की योजना बनी। यह भी निर्देश दिया गया कि सभी तरह की नौकरियों के बारे में जानकारी देना अनिवार्य होगा। सरकार की योजना थी कि इस वेबसाइट पर जॉब के लिए युवा अपना नाम रजिस्टर्ड करेंगे। इसके अलावा तमाम सरकारी, निजी कंपनियां भी इसमें रजिस्टर्ड कराएंगी और इसके माध्यम से भी नौकरियां दी जाएंगी। इसमें कैंडिडेट की सूचना को आधार कार्ड से भी जोड़ने को कहा गया ताकि ऐसा डेटाबेस तैयार हो, जिससे एक ही जगह कैंडिडेट की सारी सूचना मिले और उसे वेरिफाई भी किया जा सके। सरकार ने दावा किया कि इस सेंटर से लोकल स्तर पर ड्राइवर, प्लंबर जैसी सेवा में भी नौकरियां बेहतर वेतन के साथ दिलाई जाएंगी। लेकिन तीन साल निकल जाने के बाद भी सरकार के तमाम दावे बस दावे भर ही नजर आ रहे हैं
#Navbharat_times
READ ALSO
नौकरियां पैदा करने में मददगार आर्थिक नीतियों की दरकार