केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थाओं में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए आम बजट में घोषित नए फंडिंग मॉडल के तहत भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (आईआईटी) को सबसे ज्यादा हिस्सा मिलने जा रहा है.
Revitalising of Infrastructure and Systems in Education ( RISE ) योजना के तहत आईआईटी को सबसे ज्यादा एक-चौथाई यानी 25 हजार करोड़ रुपये का कर्ज मिलेगा. इसके तहत केंद्रीय शिक्षण संस्थानों को अगले चार साल में बुनियादी ढांचे के विकास के लिए एक लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया जाना है.
राइज योजना के तहत कर्ज पाने वालों में आईआईटी के बाद केंद्रीय विश्वविद्यालयों का नंबर होगा. उन्हें 20 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे. वहीं, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआईटी) को 11,300 करोड़ रुपये जबकि नए भारतीय प्रबंध संस्थानों (आईआईएम) को 4,500 करोड़ रुपये दिए जाएंगे. इसके अलावा इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एजुकेशन एंड रिसर्च (आईआईएसईआर) को पांच हजार करोड़ रुपये का कर्ज मिलेगा.
केंद्रीय संस्थानों को यह सारा आवंटन हायर एजुकेशन फंडिंग एजेंसी (HEFA) के जरिए किया जाएगा.
WHAT IS HEFA?
इसे केंद्र सरकार ने बीते साल कंपनी अधिनियम की धारा-8 के तहत बनयाा है. इसका मकसद बाजार से धन जुटाना और इसे केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों को 10 साल के लिए कर्ज के तौर पर मुहैया कराना है.
बीते साल तक बुनियादी ढांचे के विकास के लिए केंद्रीय उच्च शिक्षण संस्थानों को आम बजट के तहत 10 हजार करोड़ रुपये का अनुदान मिलता था. लेकिन अब यह कर्ज के रूप में दिया जाएगा. एक अधिकारी के मुताबिक अनुदान की जगह कर्ज देने की नई व्यवस्था से शिक्षण संस्थानों को न केवल ज्यादा फंड दिया जा सकेगा, बल्कि ज्यादा जवाबदेही सुनिश्चित करने के साथ परियोजनाओं को समय पर पूरा करने में भी मदद मिलेगी.