WTO सार्वजनिक खाद्य भंडारण और खाद्य सब्सिडी से जुड़े मुद्दे पर गतिरोध को खत्म करने में विफल

 

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अर्जेंटीना की राजधानी ब्यूनर्स आयर्स में बीती 10 से लेकर 13 दिसंबर तक बीच विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) का 11वां मंत्रिस्तरीय सम्मेलन आयोजित हुआ. इस बैठक की ओर पूरी दुनिया की निगाहें टिकी हुईं थीं. हालांकि, अमेरिका द्वारा सार्वजनिक खाद्य भंडारण के मुद्दे का स्थायी समाधान ढूंढने और सब्सिडी के मुद्दे पर अपनी प्रतिबद्धता से पीछे हटने की वजह से चार दिनों का यह सम्मेलन बिना किसी ठोस नतीजे के ही खत्म हो गया. इससे पहले दोहा मंत्रिस्तरीय सम्मेलन (2015) में भी सदस्य देशों के बीच इन मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन पाई थी.

  • सार्वजनिक खाद्य भंडारण और खाद्य सब्सिडी से जुड़े मुद्दे पर गतिरोध को खत्म करने में विफल रहने के चलते भारत, चीन और ब्राजील सहित अन्य विकासशील देशों को काफी निराशा हुई है.
  • डब्ल्यूटीओ के प्रावधानों के मुताबिक विकासशील देशों को साल 1986-87 के आधार मूल्य पर अपनी खाद्य सब्सिडी की सीमा 10 फीसदी तक तय करने को कहा गया है.
  • विकसित देशों के लिए यह सीमा पांच फीसदी है. भारत, चीन और ब्राजील सहित अन्य विकासशील देशों का मानना है कि यह प्रावधान मनमाना है. इन देशों में इस प्रावधान के अमल में आने पर इसका असर भूखमरी से जूझ रहे करीब 80 करोड़ लोगों पर पड़ना तय है. इसे देखते हुए ही भारत सहित अन्य विकासशील देश इस प्रावधान में संशोधन करने की मांग कर रहे हैं. दूसरी ओर, अमेरिका के नेतृत्व में विकसित देश इस पर अड़े हुए हैं.

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