भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (आईबीबीआई) ने 31 दिसम्बर, 2017 को (i) भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए दिवाला समाधान प्रक्रिया) नियमन, 2016 और भारतीय दिवाला एवं दिवालियापन बोर्ड (कॉरपोरेट व्यक्तियों के लिए फास्ट ट्रैक दिवाला समाधान प्रक्रिया) नियमन, 2017 में संशोधन कर दिए हैं।
नियमनों के अनुसार, किसी भी समाधान योजना के तहत उस धनराशि के विशिष्ट स्रोतों की पहचान करने की जरूरत है जिसका उपयोग असहमति व्यक्त करने वाले ऋणदाताओं के बकाया परिसमापन मूल्य का भुगतान करने में किया जाएगा। संशोधित विनियमों के अनुसार, इस उद्देश्य के लिए ‘असहमति व्यक्त करने वाले वित्तीय ऋणदाता’ से आशय एक ऐसे वित्तीय ऋणदाता से है जिसने समाधान योजना के खिलाफ मतदान किया या ऋणदाताओं की समिति द्वारा अनुमोदित समाधान योजना पर हुए मतदान से अपने को अलग रखा।
संशोधनों के अनुसार, सूचना ज्ञापन में ‘परिसमापन मूल्य’ का खुलासा करना आवश्यक नहीं है। दिवाला एवं दिवालियापन संहिता, 2016 और विनियमों के अनुसार समाधान योजना की प्राप्ति के बाद समाधान संबंधी प्रोफेशनल ऋणदाताओं की समिति के प्रत्येक सदस्य से यह वचन लेने के उपरांत उसे परिसमापन मूल्य प्रदान करेगा कि संबंध्रित सदस्य परिसमापन मूल्य की गोपनीयता बनाए रखेगा और इस तरह के मूल्य का उपयोग स्वयं को या किसी अन्य व्यक्ति को अनुचित लाभ पहुंचाने या अनुचित हानि के लिए नहीं करेगा। इसके अलावा, अंतरिम समाधान प्रोफेशनल या समाधान प्रोफेशनल , जैसी भी स्थिति हो, परिसमापन मूल्य की गोपनीयता बनाए रखेगा।
संशोधन के अनुसार, कोई भी समाधान आवेदक संहिता के प्रावधानों के अनुसार समाधान योजनाओं संबंधी आमंत्रण में दिए गए समय के भीतर समाधान प्रोफेशनल को समाधान योजना प्रस्तुत करेगा। इसके फलस्वरूप संहिता और विनियमों के प्रावधानों के अनुसार जितनी जल्दी हो सके, उतनी जल्दी ऋणदाताओं की समिति किसी समाधान प्रक्रिया को बंद करने में सक्षम होगी।