निम्‍न संतुलन जाल से बचने के लिए वित्तीय संघवाद एवं जवाबदेही पर जोर-Economic survey


    सर्वेक्षण में बताया गया कि ग्रामीण क्षेत्रों में स्‍थानीय सरकारों द्वारा कर संग्रह के निम्‍न स्‍तर से वित्तीय संघवाद एवं जवाबदेही के मामले में चुनौती सामने आ रही है। 
    पंचायतों ने अपने राजस्‍व का 95 प्रतिशत के‍न्‍द्र/राज्‍यों से फंड प्राप्‍त किया जबकि अपने खुद के संसाधनों से केवल 5 प्रतिशत सृजित किया।
     केरल, आंध्र प्रदेश एवं कर्नाटक जैसे राज्‍यों में पंचायतें कुछ प्रत्‍यक्ष कर का संग्रह करती हैं जबकि उत्तर प्रदेश जैसे राज्‍यों में गांव लगभग पूरी तरह अंतरित निधियों पर निर्भर रहते हैं। कुछ अन्‍य उदाहरणों में भले ही ग्रामीण स्‍थानीय सरकारों को कर लगाने का अधिकार नहीं दिया गया है फिर भी संपत्तियों पर लागू निम्‍न आधार मूल्‍य एवं लगाये गए करों की निम्‍न दरों के कारण भूमि राज्‍स्‍व संग्रह 7 से 19 प्रतिशत की निम्‍न दर पर बना हुआ है। केरल और कर्नाटक, जो पंचायतों को अधिकार देने में दूसरे से आगे हैं, के ग्रामीण क्षेत्रों में गृह कर राजस्‍व संग्रह क्षमता का केवल एक तिहाई है।
    आर्थिक सर्वेक्षण में बताया गया कि आर्थिक और राजनीतिक विकास का संबंध कुल करों में प्रत्‍यक्ष करों के बढ़ते हिस्‍से के साथ जुड़ा हुआ है। 
    प्रत्‍यक्ष करों का हिस्‍सा यूरोप में कुल करों का लगभग 70 प्रतिशत है जबकि भारत में यह संख्‍या लगभग 35 प्रतिशत की है। दूसरे देशों के विपरीत भारत में प्रत्‍यक्ष करों पर निर्भरता गिरती प्रतीत हो रही है। इसके अतिरिक्‍त, सर्वेक्षण में रेखांकित किया गया कि वित्तीय विकेन्‍द्रीकरण को न केवल एक वांछनीय आर्थिक बल्कि एक राजनीतिक और दार्शनिक सिद्धांत के रूप में भी अंगीकार किया जाता है। 
    भारत में राज्‍य प्रत्‍यक्ष करों से अपने राजस्‍व का बहुत निम्‍न हिस्‍सा, लगभग 6 प्रतिशत प्राप्‍त करते हैं जबकि ब्राजील में यह संख्‍या 19 प्रतिशत और जर्मनी में 44 प्रतिशत है। तीसरी श्रेणी में, भारत में ग्रामीण स्‍थानीय सरकारें अपने खुद के संसाधनों से केवल 6 प्रतिशत राजस्‍व का सृजन करती हैं जबकि ब्राजील एवं जर्मनी में यह 40 प्रतिशत से अधिक है। भारत में शहरी स्‍थानीय सरकारें अंतर्राष्‍ट्रीय मानदंडों के अधिक करीब हैं और वे ब्राजील के 19 प्रतिशत एवं जर्मनी के 26 प्रतिशत की तुलना में प्रत्‍यक्ष करों से कुल राजस्‍व का 18 प्रतिशत संग्रह करती हैं। इसके अतिरिक्‍त, भारत में शहरी स्‍थानीय सरकारें अपने खुद के संसाधनों से अपने कुल राजस्‍व का 44 प्रतिशत सृजन करती हैं। यह स्‍पष्‍ट है कि शहरी स्‍थानीय सरकारें भारत में ग्रामीण स्‍थानीय सरकारों की तुलना में वित्तीय रूप से अधिक सशक्‍त बनकर उभरी हैं।

    बजट क्रम तथा प्रक्रियाओं के एक महीना पूर्व शुरू किए जाने, खर्च करने वाली एजेंसियों को अग्रिम योजना बनाने तथा वित्त वर्ष में इसका कार्यान्वयन शीघ्र शुरू करने का पर्याप्त अवसर मिलेगा जिससे केन्द्रीय खर्च में तेजी आएगी।


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