प्रसंग:
- भारत में पहली बार किसी राज्य सरकार ने गर्मियों में पानी की कमी से निपटने और राज्य में समान जल वितरण के लिए जल बजट की अवधारणा को मूर्तरूप दिया है।
तथ्य:
- भारत में औसत सालाना बरसात से चार हजार अरब घन मीटर पानी आता है जो देश में ताजा पानी का प्रमुख स्रोत भी है। लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में बारिश की दर अलग-अलग है। भारत में करीब 20 रिवर बेसिन हैं। घरेलू, औद्योगिक और कृषि उपयोग के लिए अधिकांश रिवर बेसिन सूख रहे हैं। देश के विभिन्न हिस्सों में पानी की मांग भी एक जैसी नहीं है।
- कृषि कार्य में सबसे ज्यादा पानी की खपत होती है। यह 85 प्रतिशत से भी ज्यादा है। बढ़ती आबादी की जरूरतें और तेज आर्थिक गतिविधियां भी पहले से संकट का सामना कर रहे जल स्रोतों पर अतिरिक्त दबाव डाल रही हैं। जल प्रबंधन के लिए देश में कई प्रणालियों का उपयोग हो रहा है, इसके बावजूद बड़ी मात्रा में पानी बहकर समुद्र में चला जाता है। जल प्रबंधन और बरसात के पानी को बचाने के मुद्दे पर सालों से चर्चा हो रही है लेकिन केरल ने एक कदम आगे बढ़कर यह जल बजट तैयार किया है।
आवश्यकता क्यों?
- जल विशेषज्ञों का कहना है कि केरल की इस पहल से पानी की मांग और आपूर्ति व्यवस्था को सुधारने में मदद मिलेगी। केरल सरकार का यह जल बजट इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि राज्य में पिछले कुछ हफ्तों में तापमान में अच्छी खासी बढ़ोतरी हो रही है।
- इसके चलते राज्य के कई हिस्सों में पानी की किल्लत खड़ी हो गई है। इन्हीं सब बातों के मद्देनजर राज्य सरकार द्वारा लाया गया पहले जल बजट से केरल के निवासियों को अधिक उम्मीद है।
- हालांकि केरल की हरियाली से हर कोई परिचित है, लेकिन राज्य सरकार का कहना है कि राज्य में 44 से अधिक नदियां, दर्जनों झीलें, तालाब व नहरें हैं और अच्छी बारिश होने के बावजूद राज्य के कुछ इलाकों में गर्मियों में पानी की कमी का सामना करना पड़ता है।
लाभ:
- इन ग्राम पंचायतों में इस योजना के समय सीमा के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। बजट के माध्यम से स्थानीय स्वशासी संस्थाओं की भागीदारी सुनिश्चित की जाएगी, ताकि बारिश से प्राप्त होने वाले जल का उपयोग कृषि और सिंचाई क्षेत्र में संतुलित तरीके से बँटवारा किया जा सके।
- राज्य की “इनि नजन ओझिकत्ते” यानी मुझे बहने दो एक ऐसी परियोजना है, जिसमें यह उम्मीद जतायी गयी है कि जल प्रपातों की धाराओं व नदियों का जीर्णोद्धार किया जाएगा।
- राज्य सरकार ने पिछले कुछ ही सालों में अब तक 15,119 किलोमीटर लंबे जल मार्गों को पुनजीर्वित किया है। यह जल बजट जल संसाधन विकास एवं प्रबंधन केंद्र और राज्य जल संसाधन के अधिकारियों के साथ-साथ कई विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा तैयार किया गया है। इसमें स्थानीय लोगों की भी भागीदारी सुनिश्चित की गई है।
- अधिक से अधिक तालाब बनाने और नदियों की धाराओं की रक्षा करने व जल निकायों का कायाकल्प करने का काम स्थानीय निकायों द्वारा किया जा रहा है और अब इन्हीं पर जल बजट को लागू करने की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है।
- साथ ही इससे बहुमूल्य प्राकृतिक संसाधन का उचित इस्तेमाल हो सकेगा। बजट में पानी की कमी वाले क्षेत्रों में उपलब्ध पानी के अनुसार उसके उपयोग को विनियमित किया जाएगा। यह पानी का बजट है। इससे लोगों में अनावश्यक रूप से पानी बर्बाद न करने के बारे में जागरूकता पैदा होगी और इसके माध्यम से पानी बचाने के लक्ष्य को हासिल किया जा सकेगा। साथ ही इससे पानी की बर्बादी पर भी रोक लग सकेगी।
- केरल में पानी की उपलब्धता और खपत की गणना करना जरूरी था और यह काम ग्राम पंचायतों द्वारा तैयार किया गया है। हालांकि यहां यह भी ध्यान देने की जरूरत है कि राज्य में पानी उपलब्ध्ता के आंकड़े बयां कर रहे हैं कि पानी की मात्रा कम होते जा रही है लेकिन इसके बावजूद केरल में पानी की उपलब्धता राष्ट्रीय औसत से अब भी तीन गुना अधिक है।
- केरल के जल बजट के बारे में लिम्नोलॉजिस्ट (सरोविज्ञानी यानी नदियों, झीलों आदि के अध्ययनकर्ता) और एससीएमएस जल संस्थान के निदेशक डॉ सनी जार्ज के अनुसार यह कमी का मुद्दा नहीं है, यह एक प्रबंधकीय समस्या है। उनका कहना था कि संसाधन का प्रबंधन करने के लिए सबसे पहले इसकी मात्रा निर्धारित करने की आवश्यकता है, यह किसी भी संसाधन के प्रबंधन का मूल सिद्धांत हैं। अगर हम किसी संसाधन को उसकी मात्रा निर्धारित किए बिना ही प्रबंधित करने का प्रयास करते हैं तो यह अपनी ही छाया से लड़ने जैसा मामला होगा। अब अगर हमे मांग और आपूर्ति के आंकड़े मिलेंगे तो एक सही तस्वीर मिलेगी। ऐसे में हम उचित योजना बनाने में न केवल सक्षम होंगे ब्लकि इसके क्रियान्वयन में भी मदद मिलेगी। इस लिहाज से यह जल बजट निश्चित तौर पर एक अच्छी पहल के रूप में देखा जा सकता है।