हाइड्रोपोनिक्स खेती को अपनाना

  • उत्पादकता और जल उपयोग दक्षता बढ़ाने के लिए मिट्टी रहित खेती के लिए हाइड्रोपोनिक्स पारंपरिक खेती के तरीकों का एक व्यवहार्य विकल्प है।
  • हाइड्रोपोनिक्स भारत में एक नई अवधारणा है और उद्यमियों और नवोन्मेषी किसानों के बीच लोकप्रियता हासिल कर रही है, जो फसल उगाने के टिकाऊ और कुशल तरीकों की तलाश कर रहे हैं। वर्तमान में, यह तकनीक ज्यादातर शहरी खेती, छत पर बागवानी और व्यावसायिक खेती तक ही सीमित है।
  • ICAR -भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान, बेंगलुरु (IIHR) ने सब्सट्रेट के रूप में कोकोपीट का उपयोग करके हाइड्रोपोनिक्स का एक प्रकार, "कोकोपोनिक्स" या सब्जियों का मिट्टी रहित उत्पादन विकसित किया है, जो कई सब्जी फसलों में तुलनात्मक रूप से अधिक सफल पाया गया है।
  • हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब है बिना मिट्टी के सिर्फ पानी के जरिए खेती. यह एक आधुनिक खेती है, जिसमें पानी का इस्तेमाल करते हुए जलवायु को नियंत्रित करके खेती की जाती है. पानी के साथ थोड़े बालू या कंकड़ की जरूरत पड़ सकती है. इसमें तापमान 15-30 डिग्री के बीच रखा जाता है और आर्द्रता को 80-85 फीसदी रखा जाता है. पौधों को पोषक तत्व भी पानी के जरिए ही दिए जाते हैं.

    हाइड्रोपोनिक फ़ार्मिंग में खेती पाइपों के जरिए होती है. इनमें ऊपर की तरफ से छेद किए जाते हैं और उन्हीं छेदों में पौधे लगाए जाते हैं. पाइप में पानी होता है और पौधों की जड़ें उसी पानी में डूबी रहती हैं. इस पानी में वह हर पोषक तत्व घोला जाता है, जिसकी पौधे को जरूरत होती है.

    यह तकनीक छोटे पौधों वाली फसलों के लिए बहुत अच्छी है. इसमें गाजर, शलजम, मूली, शिमला मिर्च, मटर, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, ब्लूबेरी, तरबूज, खरबूजा, अनानास, अजवाइन, तुलसी, टमाटर, भिंडी जैसी सब्जियां और फल उगाए जा सकते हैं.

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