AI-पॉवर्ड भाषा अनुवाद मंच 'भाषिणी

प्रसंग:

  • प्रधानमंत्री ने जी20 डिजिटल अर्थव्यवस्था मंत्रियों की बैठक को संबोधित किया। प्रधानमंत्री ने इसी के साथ कृत्रिम बुद्धिमत्ता के प्रयोग से भाषा अनुवाद मंच भाषिणी का निर्माण करने की बात कही।
  • भारतीय भाषाओं की बाधा को समाप्त कर डिजिटल इंडिया के विस्तार के तहत 'भाषिणी' अब 10 की जगह पर 22 भाषाओं का अनुवाद करेगी।

भाषा अनुवाद मंच भाषिणी क्या है?

  • भारत सरकार ने गांधीनगर में डिजिटल इंडिया वीक 2022 कार्यक्रम में कई डिजिटल अर्थव्यवस्था पहलों को जोड़ा है। इन पहलों में से एक 'भाषिणी' एक स्थानीय भाषा अनुवाद मिशन है जिसका उद्देश्य उपलब्ध तकनीक का उपयोग करके विभिन्न भारतीय भाषाओं के बीच की बाधा को तोड़ना है।
  • इस सरकारी मंच का लक्ष्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और प्राकृतिक भाषा प्रसंस्करण (एनएलपी) संसाधनों को सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध कराना है, जिसका उपयोग भारतीय MSME, स्टार्टअप और व्यक्तिगत इनोवेटर्स द्वारा किया जा सके।

भाषिणी का क्रियान्वयन:

  • इसका उद्देश्य एक ऐसे पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण और विकास करना है जहां विभिन्न हितधारक जैसे - संस्थान, उद्योग के खिलाड़ी, अनुसंधान समूह, शिक्षाविद और व्यक्ति शामिल हो सकें। 'डेटा, प्रशिक्षण और बेंचमार्क डेटासेट, खुले मॉडल, उपकरण और प्रौद्योगिकियों के निरंतर विकसित होने वाले भंडार' को बनाए रखने के लिए एकजुट हों।

भाषादान क्या है?

  • यह अनुभाग जो व्यक्तियों को कई क्राउडसोर्सिंग पहलों में योगदान करने की अनुमति देता है और यह संबंधित एंड्रॉइड और आईओएस ऐप के माध्यम से भी पहुंच योग्य है।
  • योगदान चार तरीकों से किया जा सकता है - सुनो इंडिया , लिखो इंडिया, बोलो इंडिया और देखो इंडिया - जहां यूजर्स द्वारा सुने हुए को टाइप करना होगा या दूसरों द्वारा लिखित टेक्स्ट को मान्य करना होगा। इससे AI मॉडल को प्रोडक्ट और सर्विस डिवेलप करने में मदद मिलती है।

भाषिणी का महत्व:

  • 2001 की जनगणना के अनुसार, भारत में 22 आधिकारिक भाषाएँ, 122 प्रमुख भाषाएँ और 1599 अन्य भाषाएँ हैं। हालांकि, डिजिटलीकरण के इस वर्तमान युग में वेब पर उपलब्ध अधिकांश कंटेंट अंग्रेजी में है। भारत सरकार ने बड़े पैमाने पर भारतीय भाषा की बाधा को तोड़ने की उम्मीद में यह परियोजना शुरू की है और चाहती है कि डेवलपर्स भारतीयों को उनकी स्थानीय भाषाओं में डिजिटल सेवाएं प्रदान करें।
  • एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के पास स्थानीय भाषाओं के लिए इंटरनेट एक्सेस की अनुमति देने के लिए एक रोडमैप बनाने का मौका है। इसके अलावा, यह महत्वपूर्ण है क्योंकि स्मार्टफोन की बढ़ती उपलब्धता और सस्ती डेटा दरें इंटरनेट को देश के दूरदराज और ग्रामीण इलाकों में प्रवेश करने की अनुमति दे रही हैं।

भाषिणी क्यों जरूरी है?

  • भाषिणी भारतीय भाषाओं की बाधा को तोड़ देगी। आजकल, वेब पर उपलब्ध अधिकांश कंटेंट आमतौर पर अंग्रेजी में होती है, उसके बाद चीनी और अन्य भाषाओं में होती है। रिपोर्ट में कहा गया है कि कोई भी भारतीय भाषा शीर्ष दस की सूची में शामिल नहीं है, जो स्थानीय भाषाओं में कंटेंट की भारी कमी को दर्शाता है।
  • वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा 2021-22 के बजट में राष्ट्रीय भाषा अनुवाद मिशन (एनएलटीएम) की घोषणा की गई थी। इस मिशन को शुरू करने के पीछे का कारण एक सर्वेक्षण था जिसने निष्कर्ष निकाला कि 53% भारतीय जो इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं। उन्होंने कहा है कि यदि उनकी मूल भाषाओं में कांटनेट उपलब्ध होगा तो वे वेब का उपयोग करना शुरू कर देंगे।

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