विश्व के समक्ष संकट

प्रसंग:

Ø तेज बदलावों के दौर से गुजर रही दुनिया में वैसे तो अनेक चुनौतियां हैं, पर कुछ संकट इतने बड़े हैं कि उनकी ओर विशेष ध्यान देना जरूरी है।

पांच बड़े संकट:

  • इसमें सबसे पहले स्थान पर है करीब 13,000 परमाणु हथियार, जो नौ देशों के नियंत्रण में हैं और लगभग 14 देशों में तैनात हैं। अमेरिकी हथियार अमेरिका के अलावा यूरोप के पांच देशों में तैनात हैं। रूस के परमाणु हथियार संभवतः कुछ समय बाद बेलारूस में भी तैनात होंगे। इनमें से हजारों हथियार उन समुद्री यानों में भी तैनात हैं, जो निरंतर समुद्रों में घूमते रहते हैं और जिनका उपयोग कहीं भी हमलों के लिए हो सकता है। इनमें से अधिकांश परमाणु हथियार उन परमाणु बमों से कई गुना अधिक विध्वंसक हैं, जिन्हें हिरोशिमा व नागासाकी पर गिराया गया था। अनेक विशेषज्ञों ने चिंता प्रकट की है कि विशेष परिस्थितियों में संशय और दूसरे पक्ष की आक्रामकता के गलत आकलन से परमाणु युद्ध आरंभ हो सकता है। इधर बड़ी सैन्य महाशक्तियों के आपसी संबंध निरंतर तनावग्रस्त होते गए हैं और यूक्रेन युद्ध के संदर्भ में तो यह स्थिति और विकट हो गई है।

यदि दुनिया में मौजूद परमाणु हथियारों में से मात्र 10 फीसदी का भी उपयोग किसी युद्ध में हो गया, तो विश्व में अधिकांश जीवन का अंत हो जाएगा। जो लोग तुरंत मारे जाएंगे, उससे कहीं अधिक लोग परमाणु बमों के उपयोग के बाद उत्पन्न स्थिति से मारे जाएंगे या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाएंगे। अतः इस खतरे को पूरी तरह समाप्त करना ही उद्देश्य बनना चाहिए और इसके लिए परमाणु हथियारों को समाप्त करना जरूरी है। फिर भी जब तक यह व्यापक उद्देश्य प्राप्त न हो सके, तब तक परमाणु हथियारों के खतरे को कम करने के विभिन्न प्रयास, विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौते आगे बढ़ते रहने चाहिए, जबकि हाल के वर्षों में विभिन्न अंतरराष्ट्रीय समझौतों, विशेषकर अमेरिका-रूस समझौतों में कमी आई है।

  • दूसरा बड़ा खतरा रोबोट या कृत्रिम बुद्धिमत्ता हथियारों से जुड़ा है। यदि रोबोट तकनीक का सैन्य उपयोग इसी तरह बढ़ता रहा, जैसा हाल के समय में देखा गया है, तो शीघ्र ही ऐसी स्थितियां उत्पन्न हो जाएंगी, जिनसे निपटने के लिए दुनिया अभी तैयार नहीं है। विशेष परिस्थितियों में ये हथियार मानव नियंत्रण के बाहर भी हो सकते हैं। रोबोट व कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक से जुड़े अनेक वरिष्ठ वैज्ञानिक इस बारे में चेतावनी जारी कर चुके हैं कि रोबोट व कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक के सैन्य उपयोग पर रोक लगाई जाए।
  • तीसरा बड़ा खतरा अंतरिक्ष के सैन्यीकरण की आशंका से जुड़ा हुआ है। इसे विश्व के लिए बड़े खतरों की आशंका वाला क्षेत्र माना जाता रहा है, इसके बावजूद यह भी सत्य है कि अनेक बड़ी सैन्य शक्तियां अंतरिक्ष के सैन्यीकरण की संभावनाएं तलाश रही हैं और उनके वैज्ञानिक इस संभावना की दिशा में कार्य कर रहे हैं। अंतरिक्ष युद्ध व रोबोट के सैन्य उपयोग की दिशा में प्रयास इस कारण भी बढ़ रहे हैं, क्योंकि कोई भी सैन्य महाशक्ति किसी अधिक विध्वंसक क्षमता वाली तकनीक में पीछे नहीं रहना चाहती है।
  • चौथा बड़ा खतरा पर्यावरण की सबसे गंभीर समस्याओं और जलवायु बदलाव जैसी लगभग दर्जन भर गंभीर समस्याएं हैं (जैसे जल संकट, वायु प्रदूषण जैव विविधता ह्रास आदि), जिनके बारे में वैज्ञानिक कह रहे हैं कि इनके मिले-जुले असर से धरती की जीवनदायिनी क्षमता ही खतरे में पड़ सकती है।
  • पांचवां बड़ा संकट विश्व की अनेक बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों व उनसे जुड़े अरबपतियों द्वारा प्रसारित तकनीकों से जुड़ा है, जो कृषि, खाद्य, स्वास्थ्य जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में तेजी से लाई जा रही हैं। इन तकनीकों से इन कंपनियों का नियंत्रण बढ़ेगा और मुनाफा भी, पर आजीविका स्वास्थ्य, पर्यावरण के खतरे भी उतनी या उससे भी अधिक तेजी से बढ़ सकते हैं। यह स्थिति विकासशील व निर्धन देशों के लिए अधिक खतरनाक हो सकती है और उन्हें इसके लिए अधिक सावधानी बरतने की जरूरत है।
  • निष्कर्ष:
    ये पांचों बहुत बड़े खतरे हैं और इनके प्रति विश्व में अधिक सजगता बहुत आवश्यक है। लोगों में इस बारे में सजगता बढ़ेगी, तभी इन खतरों को कम करने के लिए विश्व स्तर पर दबाव भी बढ़ेगा। अतः शिक्षा संस्थानों, सामाजिक संगठनों व मीडिया को इस सजगता को बढ़ाने में सहयोग करना चाहिए।

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