प्रसंग:
- सेंटर फॉर इंटरनेशनल क्लाइमेट रिसर्च के वैज्ञानिकों ने जानकारी दी है कि जलवायु में आते बदलावों के लिए कहीं न कहीं हाइड्रोजन भी जिम्मेवार है। इस बारे में किए एक नए अध्ययन से पता चला है कि ग्लोबल वार्मिंग के दृष्टिकोण से वातावरण में मुक्त हुई हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड (सीओ2) की तुलना में 12 गुणा अधिक खतरनाक है।
हाइड्रोजन उत्सर्जन
- जहां जीवाश्म ईंधन जैसे कोयला और गैस के जलने से कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती हैं। वहीं इसके विपरीत हाइड्रोजन को जलाने से जलवाष्प और ऑक्सीजन मुक्त होती है। हालांकि इसका उत्सर्जन इन गैसों के उत्पादन, परिवहन और उपयोग के दौरान हुए रिसाव के कारण होता है, जो ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि कर सकता है।
- वैज्ञानिकों की मानें तो हाइड्रोजन, कोई ग्रीनहाउस गैस नहीं है, लेकिन वातावरण में इसकी रासायनिक प्रतिक्रियाएं मीथेन, ओजोन और समतापमंडल में मौजूद जलवाष्प जैसी ग्रीनहाउस गैसों को प्रभावित करती हैं। इस तरह, विकिरण के प्रत्यक्ष गुणों की कमी के बावजूद, हाइड्रोजन उत्सर्जन ग्लोबल वार्मिंग का कारण बन सकता है।
- हाइड्रोजन का जलवायु प्रभाव एक बहुत कम शोध का विषय रहा है। हालांकि पिछले कुछ अध्ययन जो सिंगल मॉडल पर आधारित थे वो इसकी पुष्टि करते हैं।
अध्ययन के निष्कर्ष
- इस गैस की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता (GWP100) 11.6 है। हाइड्रोजन विभिन्न जैव-रासायनिक प्रक्रियाओं के साथ परस्पर क्रिया करती है।
- वैज्ञानिकों ने इसमें पांच अलग-अलग एटमोस्फियरिक केमिकल मॉडल्स का उपयोग किया है। उन्होंने इसमें मिट्टी का अवशोषण, हाइड्रोजन का फोटोकैमिकल उत्पादन, हाइड्रोजन और मीथेन का जीवन काल, और हाइड्रोजन और मीथेन के बीच होने वाली आपसी प्रतिक्रियाओं का अध्ययन किया है।
- यह अध्ययन हाइड्रोजन के जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों का अब तक का सबसे व्यापक मूल्यांकन है। इसमें मौजूदा जलवायु मॉडल के उन्नत स्वरूप का उपयोग किया गया है। यह अध्ययन हाइड्रोजन के जलवायु प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने में मदद कर सकता है।
- हाइड्रोजन, जिसे स्वच्छ ऊर्जा की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के लिए काफी अहम माना जाता है। इसमें अनिश्चितताओं का आंकलन किया गया है। यह अध्ययन हाइड्रोजन पर राजनैतिक निर्णय लेने के लिए एक मजबूत आधार प्रदान करता है। 11.6 की ग्लोबल वार्मिंग क्षमता महत्वपूर्ण है। यह अध्ययन स्पष्ट रूप से हाइड्रोजन के रिसाव को कम करने के महत्व को दर्शाता है।
- हमारे पास जरूरी पैमाने पर हाइड्रोजन के रिसाव की निगरानी करने और उनका पता लगाने के लिए तकनीकों की कमी है। लेकिन इसके लिए नई तकनीकें विकसित की जा रही हैं। ऐसे में हाइड्रोजन का बढ़ता उपयोग कितना फायदेमंद होगा। यह उसके रिसाव की मात्रा और किस हद तक हाइड्रोजन जीवाश्म ईंधन को प्रतिस्थापित कर सकता है, इस पर निर्भर करेगा।