छोटे शहरों में रोजगार

भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है और यही हाल जॉब मार्केट का भी है। बस इसमें छोटा से बदलाव है। ज्यादातर हायरिंग मेट्रो सिटीज के बाहर हो रही हैं। इस दौरान ई-कॉमर्स, टेलिकॉम, आईटी, बीपीओ, फाइनैंस और इंश्योरेंस कंपनियों में सबसे ज्यादा हायरिंग देखने को मिल रही है। हालांकि, इन शहरों में सैलरी मेट्रो की तुलना में 30-50 फीसदी तक कम मिल रही है।

भारत का नौकरी बाजार महानगरों से बाहर निकलकर टियर 2 और 3 शहरों की ओर बढ़ रहा है। इन शहरों में मध्य वर्ग तेजी से बढ़ रहा है। इसके चलते बढ़ रहे उपभोग से अच्छे स्तर के रोजगार के अवसर भी बढ रहे है। छोटे शहरों में नौकरियों के मौके बढ़ने की एक बड़ी वजह कोरोना के बाद हुआ रिवर्स माइग्रेशन है. दरअसल, वर्क फ्रॉम होम और हाइब्रिड मॉडल की वजह से बड़े शहरों से वापस गए लोगों के लिए छोटे शहरों में स्थित अपने घरों से काम करना मुमकिन हो गया है. इन कर्मचारियों को छोटे शहरों में सस्ते रहन सहन के साथ ही घर पर रहने का फायदा भी मिल रहा है

इन शहरों में बढ़ते कौशल विकास के अवसरों के चलते राज्य के ही अन्य कस्बों व गांवों से प्रवास कर आने वालों की संख्या बढ़ती जा रही है। भारत के विकास के लिए टियर 2 और 3 शहरों में प्रगति की यह गति अच्छी कही जा सकती है।

प्रमुख कारण:

  • कंपनियों के लिए अपने खर्चे घटाने में मदद मिलती है जिससे स्टार्टअप सेक्टर को कम खर्चों में अपना कारोबार शुरु करने का मौका मिल जाता है।
  • बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विसेज और इंश्योरेंस सेक्टर को छोटे शहरों में कारोबार विस्तार की काफी संभावनाएं नजर आ रही हैं और वो यहां पर अपने कारोबार का विस्तार कर रही हैं।
  • आर्थिक सुस्ती ने IT कंपनियों को छोटे शहरों में बुलाया। बेहतर एयर कनेक्टिविटी वाले टियर-2 शहरों में अपने नए सेंटर्स खोलने से इनकी लागत कम हो रही है. इसके अलावा इनको सस्ता टैलेंट भी इन शहरों में मिल रहा है।
  • हेल्थ और वेलनेस सेक्टर की बड़ी कंपनियों को भी छोटे शहरों में विस्तार के लिए मजबूत कारण मिल गया है।
  • छोटी मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स कम लागत के लिए छोटे शहरों में अपना कारोबार स्थापित कर रही हैं. यहां पर उनको लेबरफोर्स के साथ साथ स्किल्ड कर्मचारी भी आसानी से और कम खर्च में मिल जाते हैं।
  • विदेशी निवेश केवल बड़े शहरों और चंद राज्यों तक सीमित नहीं है. ये निवेश देश के सभी राज्यों के छोटे बड़े शहरों में आया है. ऐसे में इस निवेश से पैदा होने वाले नौकरियों के मौकों से छोटे शहरों को भी अब बड़े शहरों के बराबर ही फायदा मिल रहा है।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार ने छोटे शहरों ही नहीं गांवों तक नौकरियों के मौके पैदा कर दिए हैं।
  • छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के ज्यादा ग्राहकों को सर्विस और प्रॉडक्ट्स बेचने वाली कंपनियों के लिए इन शहरों में जाना खर्च घटाने के साथ ही मजबूत ब्रांडिंग की वजह भी बनता है।
  • एडटेक कंपनियां भी अब देशभर में टैलेंट तैयार कर रही हैं जो आने वाले समय में स्किल मैनपावर में इजाफा करेगा।
  • वस्तुओं और सेवाओं का प्रमुख निर्यात इन शहरों से किया जाता है।
  • विनिर्माण और फार्मा के अलावा आईटी उद्योग में भी कौशल विकास के अवसर इन शहरों में हैं।
  • वित्तीय सेवाएं प्रसारित हो रही हैं। इसमें काम करने वालों की मांग तेजी से बढ़ रही है।
  • इन क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी के प्रसार से गिग अर्थव्यवस्था बढ़ रही है।
  • केंद्र और राज्य सरकारें मध्यम दर्जे के शहरों से संपर्क-साधन ठीक कर रही हैं। बुनियादी ढांचे का विकास हो रहा है।
  • भारत के कई ऐसे टियर 2 और 3 शहर हैं, जो आर्थिक आउटपुट अच्छा दे रहे हैं। इन शहरों में आवास और परिवहन की मांग बहुत बढ़ी है। इसके साथ ही स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा की भी मांग में तेजी आई है। इन सभी उद्योगों का रोजगार पर गुणक प्रभाव पड़ता है।
  • इन शहरों में बुनियादी ढांचा खड़ा करना भी आसान है, क्योंकि महानगरों की तुलना में यहाँ जमीन और श्रम सस्ता है।
  • इन शहरों में जीवनयापन की लागत अपेक्षाकृत कम होती है। नौकरी करने वालों को यह आकर्षक विकल्प लगता है।
  • चूंकि इस स्तर के शहर विकास बाजार हैं, इसलिए यहाँ कैरियर में प्रगति भी सुनिश्चित है।

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