14. Comment on the resource potentials of the long coastline of India and highlight the status of natural hazard preparedness in these areas. (Answer in 250 words) 15 marks
India's long coastline of over 7,500 kilometres is a valuable asset with immense resource potential. It is home to a variety of resources, including:
- Fisheries: India is one of the world's leading producers of fish, and its coastline plays a vital role in the fishing industry. The fishing sector employs millions of people and contributes significantly to the Indian economy.
- Tourism: India's coastline is dotted with popular tourist destinations, such as Goa, Kerala, and the Andaman and Nicobar Islands. Tourism is a major source of revenue for India and helps to create jobs and boost the local economy.
- Energy: India's coastline has the potential for renewable energy generation, such as offshore wind and tidal energy, OTEC. These renewable energy sources can help to reduce India's reliance on fossil fuels and combat climate change. Presence of other non-conventional source of energy like Gas Hydrates & Shale Gas.
- Minerals: India's coastline is home to a variety of minerals, such as salt, gypsum, and ilmenite. These minerals are used in a variety of industries, such as construction, agriculture, and manufacturing.
- Biodiversity: India's coastline is home to a variety of ecosystems, including mangroves, coral reefs, and seagrass beds. These ecosystems provide a variety of services, such as coastal protection, water filtration, and fish habitats.
However, India's coastline is also vulnerable to a variety of natural hazards, including cyclones, tsunamis, and sea-level rise. Climate change is exacerbating the intensity and frequency of these hazards, making it even more important to strengthen natural hazard preparedness in coastal areas.
The Indian government has taken a number of steps to improve natural hazard preparedness in coastal areas, including:
- Developing early warning systems: The Indian government has developed early warning systems for cyclones and tsunamis. These systems provide early warnings to coastal residents, so that they can evacuate to safety.
- Constructing cyclone shelters: The Indian government has constructed cyclone shelters in coastal areas. These shelters provide safe haven for coastal residents during cyclones.
- Building seawalls and dykes: The Indian government has constructed seawalls and dykes in coastal areas to protect against erosion and flooding.
- Educating coastal residents: The Indian government conducts awareness programs to educate coastal residents about natural hazards and how to prepare for them.
Despite the government's efforts, there is still room for improvement in natural hazard preparedness in coastal areas. There is a need to improve the coverage of early warning systems, construct more cyclone shelters, and educate more coastal residents about natural hazards.
In addition to the government's efforts, the private sector is also playing a role in improving natural hazard preparedness in coastal areas. For example, some private companies are developing new insurance products for coastal residents. Additionally, some private companies are investing in renewable energy projects in coastal areas, which can help to reduce India's reliance on fossil fuels and make the country more resilient to climate change.
Overall, India's coastline has immense resource potential. However, it is also vulnerable to a variety of natural hazards. The Indian government and the private sector are taking a number of steps to improve natural hazard preparedness in coastal areas. However, there is still room for improvement.
14. भारत की लंबी तटरेखा की संसाधन संभावनाओं पर टिप्पणी कीजिये और इन क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारी की स्थिति पर प्रकाश डालिये। (उत्तर 250 शब्दों में) 15 अंक
भारत की 7,500 किलोमीटर से अधिक लंबी तटरेखा अपार संसाधन क्षमता वाली एक मूल्यवान संपत्ति है। यह विभिन्न प्रकार के संसाधनों का घर है, जिनमें शामिल हैं:
- मछली पालन: भारत दुनिया के अग्रणी मछली उत्पादकों में से एक है, और इसकी तटरेखा मछली पकड़ने के उद्योग में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मछली पकड़ने का क्षेत्र लाखों लोगों को रोजगार देता है और भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- पर्यटन: भारत की तटरेखा गोवा, केरल और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों से भरी हुई है। पर्यटन भारत के लिए राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है और रोजगार पैदा करने और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने में मदद करता है।
- ऊर्जा: भारत की तटरेखा में अपतटीय पवन और ज्वारीय ऊर्जा, ओटीईसी जैसी नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की क्षमता है। ये नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत जीवाश्म ईंधन पर भारत की निर्भरता को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में मदद कर सकते हैं। यहाँ गैस हाइड्रेट्स और शेल गैस जैसे ऊर्जा के अन्य गैर-पारंपरिक स्रोतों की उपस्थिति भी है।
- खनिज: भारत की तटरेखा विभिन्न प्रकार के खनिजों का घर है, जैसे नमक, जिप्सम और इल्मेनाइट। इन खनिजों का उपयोग विभिन्न प्रकार के उद्योगों, जैसे निर्माण, कृषि और विनिर्माण में किया जाता है।
- जैव विविधता: भारत की तटरेखा विभिन्न प्रकार के पारिस्थितिक तंत्रों का घर है, जिनमें मैंग्रोव, मूंगा चट्टानें और समुद्री घास के बिस्तर शामिल हैं। ये पारिस्थितिकी तंत्र विभिन्न प्रकार की सेवाएँ प्रदान करते हैं, जैसे तटीय सुरक्षा, जल निस्पंदन और मछली आवास।
हालाँकि, भारत की तटरेखा चक्रवात, सुनामी और समुद्र के स्तर में वृद्धि सहित विभिन्न प्राकृतिक खतरों के प्रति भी संवेदनशील है। जलवायु परिवर्तन इन खतरों की तीव्रता और आवृत्ति को बढ़ा रहा है, जिससे तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारियों को मजबूत करना और भी महत्वपूर्ण हो गया है।
भारत सरकार ने तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारी में सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, जिनमें शामिल हैं:
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली विकसित करना: भारत सरकार ने चक्रवातों और सुनामी के लिए पूर्व चेतावनी प्रणाली विकसित की है। ये प्रणालियाँ तटीय निवासियों को प्रारंभिक चेतावनी प्रदान करती हैं, ताकि वे सुरक्षित स्थान पर जा सकें।
- चक्रवात आश्रयों का निर्माण: भारत सरकार ने तटीय क्षेत्रों में चक्रवात आश्रयों का निर्माण किया है। ये आश्रय स्थल चक्रवातों के दौरान तटीय निवासियों को सुरक्षित आश्रय प्रदान करते हैं।
- समुद्री दीवारों और बांधों का निर्माण: भारत सरकार ने कटाव और बाढ़ से बचाने के लिए तटीय क्षेत्रों में समुद्री दीवारों और बांधों का निर्माण किया है।
- तटीय निवासियों को शिक्षित करना: भारत सरकार तटीय निवासियों को प्राकृतिक खतरों के बारे में शिक्षित करने और उनके लिए तैयारी करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाती है।
सरकार के प्रयासों के बावजूद, तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारियों में अभी भी सुधार की गुंजाइश है। प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों के कवरेज में सुधार करने, अधिक चक्रवात आश्रयों का निर्माण करने और अधिक तटीय निवासियों को प्राकृतिक खतरों के बारे में शिक्षित करने की आवश्यकता है।
सरकारी प्रयासों के अलावा, निजी क्षेत्र भी तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारी में सुधार करने में भूमिका निभा रहा है। उदाहरण के लिए, कुछ निजी कंपनियाँ तटीय निवासियों के लिए नए बीमा उत्पाद विकसित कर रही हैं। इसके अतिरिक्त, कुछ निजी कंपनियाँ तटीय क्षेत्रों में नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश कर रही हैं, जो जीवाश्म ईंधन पर भारत की निर्भरता को कम करने और देश को जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक लचीला बनाने में मदद कर सकती हैं।
भारत की तटरेखा में अपार संसाधन क्षमता है। हालाँकि, यह विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक खतरों के प्रति भी संवेदनशील है। भारत सरकार और निजी क्षेत्र तटीय क्षेत्रों में प्राकृतिक खतरे की तैयारी में सुधार के लिए कई कदम उठा रहे हैं। हालाँकि, अभी भी सुधार की गुंजाइश है।