भारतीय विश्वविद्यालय वैश्विक शीर्ष 100 में कैसे शामिल हो सकते हैं?

भारत लंबे समय से दुनिया के लिए एक शैक्षिक केंद्र बनने की आकांक्षा रखता है। हालाँकि वास्तव में, हर साल बड़ी संख्या में भारतीय छात्र विदेशों में उच्च शिक्षा का विकल्प चुनते हैं। क्यू एस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में भारत के एकमात्र संस्थान आईआईटी बॉम्बे को 200 के अंदर स्थान मिला है। इस स्थिति से निपटने के लिए हमें भारतीय विश्वविद्यालयों के बारे में गंभीर आत्मनिरीक्षण करने की जरूरत है।

कुछ बिंदु –

  • गेमीफिकेशन (गेमिंग से जुड़ी प्रतिस्पर्धात्मक गतिविधियां) और इंटरैक्टिव डिजिटल लर्निंग प्लेटफार्म को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए।
  • डेटा-संचालित निर्णय प्रक्रिया को अपनाना होगा। सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने, प्रगति की निगरानी और सूचित निर्णय लेने के लिए डेटा एनालिटिक्स का उपयोग किया जाना चाहिए।
  • अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधाओं में निवेश करना होगा।
  • संकाय, छात्रों और उद्योग भागीदारों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना होगा।
  • अनुसंधान उत्कृष्टता को पहचान देनी होगी। इससे प्रतिभाशाली शिक्षाविदों और छात्रों को आकर्षित किया जा सकेगा।
  • अंतरराष्ट्रीय उद्योगों के साथ मजबूत साझेदारी बनानी होगी। इससे स्नातकों के लिए अनुसंधान निधि एवं इंटर्नशिप के अवसर बढ़ेंगे। छात्रों की रोजगार क्षमता पर अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
  • विश्वविद्यालयों को उच्च गुणवत्ता वाले ऑनलाइन पाठ्यक्रम और डिग्री कार्यक्रम तैयार करने चाहिए। इससे विश्व के अकादमिक जगत में विश्वविद्यालय का नाम होगा, और धन भी आएगा।
  • उद्यमिता के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जाना चाहिए। जिन विश्वविद्यालयों के छात्र स्टार्टअप चलाते हैं, उनको नवाचार और कौशल विकास के केंद्र के रूप में जाना जाने लगता है।
  • विश्वविद्यालयों को सामाजिक प्रभाव की पहल करनी चाहिए। वास्तविक दुनिया की चुनैतियों का समाधान करने वाली परियोजनाओं को करिकुलम का हिस्सा बनाना होगा।
  • संकाय को पेशेवर विकास, अनुसंधान सहायता और उत्कृष्ट योगदान के लिए मान्यता के अवसर प्रदान करना चाहिये।
  • विविध और समावेशी परिसर को बढ़ावा देना चाहिये।
  • धारणीय प्रथाओं को अपनाना और परिसर में पर्यावरण प्रबंधन को बढ़ावा देना चाहिये। धारणीयता के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित करने से पर्यावरण के प्रति जागरूक छात्र और शिक्षक आकर्षित हो सकते हैं।
  • एक मजबूत भूतपूर्व छात्र (एल्युमनाई) नेटवर्क तैयार करना चाहिये।
  • हमारे विश्वविद्यालयों को आलोचनात्मक सोच, समस्या-समाधान क्षमताओं, संचार कौशल और टीमवर्क के विकास पर जोर देना चाहिए। केवल डिग्री तक सीमित न रहकर व्यक्तिगत विकास और विविध दृष्टिकोणों से परिचित होने जैसे व्यापक उद्देश्यों को भी पूरा करना चाहिए।

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