सिंचाई से क्षेत्रीय जलवायु पर असर

प्रसंग:

  • शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किए गए एक नए अध्ययन से पता चलता है कि, सिंचाई कैसे दुनिया भर में क्षेत्रीय जलवायु और पर्यावरण पर असर डालती है। अध्ययन यह भी बताता है कि सिंचाई कैसे और कहां नुकसानदायक और फायदेमंद दोनों है।

उद्देश्य:

  • अध्ययन भविष्य में पानी का स्थायी उपयोग और फसलों की उपज हासिल करने के लिए आकलन में सुधार के तरीकों की ओर भी इशारा करता है।
  • भले ही सिंचाई पृथ्वी के एक छोटे से हिस्से में की जाती है, इसका क्षेत्रीय जलवायु और पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव पड़ता है। यह या तो पहले से ही अस्थिर है, या दुनिया के कुछ हिस्सों में इसके कारण भूजल में कमी जारी है।
  • उन्होंने कहा, क्योंकि सिंचाई से दुनिया के 40 फीसदी भोजन की उपज होती है, हमें इसके प्रभावों की जटिलताओं को समझने की आवश्यकता है ताकि हम खराब परिणामों को कम करते हुए इसके फायदों को हासिल कर सकें।
  • सिंचाई, जिसका मुख्य रूप से कृषि के लिए उपयोग किया जाता है, यह दुनिया भर की झीलों, नदियों और अन्य स्रोतों से निकाले गए ताजे या मीठे पानी का लगभग 70 फीसदी हिस्सा है।
  • पिछले अनुमानों से पता चलता है कि वर्तमान में भूमि के 36 लाख वर्ग किलोमीटर हिस्से में सिंचाई की जाती है। अमेरिका के ऊंचे मैदानी राज्यों, जैसे कि कैनसस और नेब्रास्का, कैलिफोर्निया की सेंट्रल वैली, कई दक्षिण एशियाई देशों में फैले - भारत में गंगा के तटीय इलाके और उत्तर पूर्वी चीन सहित कई क्षेत्र इसमें शामिल हैं। दुनिया भर में बड़े पैमाने पर सिंचाई की जाती हैं और जिसका जलवायु और पर्यावरण पर भारी प्रभाव पड़ता है।
  • जबकि विशेष इलाकों या क्षेत्रों पर सिंचाई के कुछ प्रभावों को दर्ज किया गया है, यह अधिक स्पष्ट नहीं है कि, क्या दुनिया भर में सिंचाई वाले इलाकों में लगातार और भारी जलवायु और पर्यावरणीय प्रभाव हैं।
  • इस समस्या से पार पाने के लिए, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, फ्रांस, भारत, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और ताइवान के कुल 38 शोधकर्ताओं ने 200 से अधिक पिछले अध्ययनों का विश्लेषण किया। जिससे वर्तमान में पड़ने वाले प्रभाव और भविष्य में पड़ने वाले प्रभावों का पूर्वानुमान लगाया है।

सिंचाई के अच्छे और बुरे दोनों प्रभाव

  • सिंचाई दिन के तापमान को काफी हद तक ठंडा कर सकती है और यह भी बदल सकती है कि एग्रोइकोसिस्टम कैसे कार्बन और नाइट्रोजन को स्टोर कर इसके चक्र को आगे बढ़ाते हैं। जबकि ठंडा होने पर अत्यधिक गर्मी से निपटने में मदद मिल सकती है। सिंचाई का पानी भी वातावरण को नम कर सकता है और इसके परिणामस्वरूप धान से शक्तिशाली मीथेन जैसी ग्रीनहाउस गैसें निकल सकती हैं
  • सिंचाई से हर साल ताजे पानी के स्रोतों से लगभग 2,700 क्यूबिक किलोमीटर या लगभग 648 क्यूबिक मील पानी की निकासी होती है। कई क्षेत्रों में, इस उपयोग ने पानी की आपूर्ति, विशेष रूप से भूजल को कम कर दिया है। पानी की आपूर्ति में कृषि में उपयोग होने वाले उर्वरक की मात्रा में भी बढ़ोतरी हुई है।
  • जगह, मौसम और प्रचलित हवाओं के आधार पर सिंचाई कुछ क्षेत्रों में बारिश के प्रतिरूप को भी प्रभावित कर सकती है।
  • शोधकर्ताओं ने सिंचाई मॉडलिंग में सुधार के तरीकों पर भी सुझाव दिए हैं, ऐसे बदलाव जिनके परिणामस्वरूप भविष्य में स्थायी जल और खाद्य उत्पादन हासिल करने के तरीकों का बेहतर मूल्यांकन किया जा सके।
  • बड़े पैमाने पर मॉडलों के अधिक कठोर परीक्षण को अपनाने के साथ-साथ प्राकृतिक और रासायनिक जलवायु प्रक्रियाओं और लोगों द्वारा निर्णय लेने दोनों से जुड़ी अनिश्चितताओं को पहचानने और उन्हें कम करने के बेहतर तरीकों को अपनाने पर आधारित है।
  • बढ़ते सिंचाई के मॉडल विकसित करते समय वैज्ञानिकों और निर्णय लेने वालों के आपस में अधिक समन्वय और बातचीत को शामिल किया जा सकता है।
  • इस तरह के आकलन से वैज्ञानिकों को क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन, जैव भू-रासायनिक चक्रण, जल संसाधन की मांग, खाद्य उत्पादन और किसानों की आजीविका को लेकर अभी और भविष्य में, एक साथ बदलती परिस्थितियों के बीच जांच करने तथा इनके समाधान में मदद मिलेगी।

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