अफ्रीका में छुपा भारत का हित

हाल ही में भारत ने अफ्रीकन यूनीयन के 54 देशों को जी-20 समूह का सदस्य बनाने की सिफारिश की है। इस प्रस्ताव को भारी समर्थन मिला है। अमेरिका ने विशेष रूप से इसे आगे बढ़ाने की बात कही है। इस प्रस्ताव में भारत का कितना हित छुपा है, कुछ बिंदु –

  • अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष ने इस वर्ष के प्रारंभिक महीनों में अफ्रीका के अंगोला, इथोपिया, नाइजीरिया, केन्या और दक्षिण अफ्रीका को विश्व की सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में माना है। अफ्रीका दुनिया के सबसे तेज गति से बढ़ते क्षेत्र के रूप में एशिया से आगे निकलने की ओर अग्रसर है।
  • अफ्रीका के साथ भारत अपनी भागीदारी को बढ़ाना चाहता है। इसी के चलते 2015 में भारत ने अफ्रीका के 54 देशों को आमंत्रित किया था। वह अफ्रीकी देशों के साथ तीसरा शिखर सम्मेलन था। चौथे सम्मेलन में विलंब हो गया है, और शीर्ष अधिकारियों की लगातार द्विपक्षीय यात्राओं के बावजूद संबंधों की गति धीमी हो गई है।
  • इसका कारण है कि भारत से चीन जैसी भव्य अफ्रीका रणनीति की अपेक्षा की जाती है। चीन ने अफ्रीका में बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचे, व्यापार और आर्थिक पैकेजों पर आक्रामक रूप से काम किया है। कोविड के दौरान लगभग 2 अरब वैक्सीन की आपूर्ति की है। इस तुलना में भारत के प्रयास बहुत कम रहे हैं।
  • हिंद महासागर क्षेत्र में सुरक्षा और समृद्धि के लिए अफ्रीका के पूर्वी तटीय देशों की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है।

अफ्रीका में चीन ने अनेक बंदरगाह स्थापित कर लिए हैं। वहाँ के सब-सहारा क्षेत्र में रूस और चीन से बड़ी संख्या में हथियार निर्यात किए जाते रहे हैं। ऐसे में भारत, अमेरिका और जापान वहाँ मिलकर काम कर सकते हैं। गुणवत्तापूर्ण अफ्रीकी बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए जापान के साथ एशिया-अफ्रीका ग्रोथ कॉरिडोर पहल को पुनर्जीवित किया जा सकता है। अफ्रीका नीति को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए भारत का प्रस्ताव, सही दिशा में किया गया प्रयास है।

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