भौतिकी का नोबेल पुरस्कार

प्रसंग:

  • इस बार भौतिकी का नोबेल पुरस्कार संयुक्त रूप से तीन वैज्ञानिकों पियरे एगोस्टिनी, फेरेन्क क्रॉस्ज और ऐनी एल'हुइलियर को उनके अभूतपूर्व प्रयोगों के लिए संयुक्त रूप से दिया गया है।

किन प्रयोगों के लिये?

  • इन तीनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार उनके अनूठे प्रयोगों के लिए दिया गया है, जो मानवता को परमाणुओं और अणुओं के भीतर इलेक्ट्रॉनों की जांच करने के लिए शक्तिशाली उपकरण प्रदान करते हैं। वैज्ञनिकों ने अपने प्रयोगों में दिखाया है कि प्रकाश की बेहद छोटी तरंगे कैसे उत्पन्न की जाती हैं। इसका उपयोग उन तीव्र प्रक्रियाओं को मापने के लिए किया जा सकता है, जिनमें इलेक्ट्रॉन गति करते हैं या ऊर्जा में बदलते हैं।
  • इंसानों को तेजी से चलने वाली घटनाएं निरंतर चलती हुई प्रतीत होती है, ठीक उसी तरह जैसे अलग-अलग फ्रेमों में बनी कोई फिल्म निर्बाध गति से चलती दिखाई देती है। लेकिन वास्तव में उनमें संक्षिप्त घटनाएं होती हैं। ऐसे में अति-संक्षिप्त घटनाओं का पता लगाने के लिए, हमें उन्नत तकनीक की आवश्यकता होती है।
  • शोधकर्ताओं ने प्रकाश के इतने छोटे स्पंदन उत्पन्न किए हैं कि उन्हें एटोसेकंड में मापा जाता है, इससे यह साबित होता है कि इन स्पंदनों का उपयोग परमाणुओं और अणुओं के अंदर होने वाली प्रक्रियाओं की छवियां कैप्चर करने के लिए किया जा सकता है।
  • इलेक्ट्रॉनों की दुनिया में, ऐसे बदलाव एटोसेकंड के दसवें हिस्से के भीतर होते हैं। एक एटोसेकंड 10-18 सेकंड का होता है।

अनुप्रयोग:

  • एटोसेकंड पल्स वैज्ञानिकों को अल्ट्राफास्ट परमाणु और आणविक प्रक्रियाओं की 'छवियों' को अल्पकाल में कैप्चर करने में सक्षम बनाता है।
  • इसका पदार्थ विज्ञान, इलेक्ट्रॉनिक्स और कैटेलिसिस जैसे क्षेत्रों, जिसमें त्वरित रूप से हो रहे परिवर्तनों को समझना महत्त्वपूर्ण होता है, पर गहरा प्रभाव पड़ता है।
  • क्षणिक चिह्नों के आधार पर विशिष्ट अणुओं की पहचान करने के लिये एटोसेकंड पल्स का उपयोग चिकित्सीय नैदानिक परीक्षणों में किया जा सकता है। यह मेडिकल इमेजिंग और डायग्नोस्टिक तकनीकों को बेहतर बनाने में मदद करता है।
  • एटोसेकंड भौतिकी कंप्यूटिंग और दूरसंचार प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में अधिक तेज़ इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के विकास को बढ़ावा दे सकती है।
  • जीव विज्ञान से लेकर खगोल विज्ञान तक के क्षेत्र में अनुप्रयोगों के साथ, एटोसेकंड पल्स को संशोधित करने की क्षमता उच्च-रिज़ॉल्यूशन इमेजिंग और स्पेक्ट्रोस्कोपी में मदद करती है।

अन्य जानकारी:

  • क्वांटम यांत्रिकी (मैकेनिक्स) के नियमों के अनुसार, पदार्थों - मसलन फल या चट्टान - में इलेक्ट्रॉनों के प्रत्यक्ष गुण कुछ सौ एटोसेकंड में बदल जाते हैं। इन अत्यंत तीव्र बदलावों का अध्ययन करने के लिए विशेष उपकरणों की आवश्यकता होती है और इन उपकरणों के निर्माण के लिए ही 2023 का भौतिकी का नोबेल पुरस्कार दिया गया है।
  • वर्ष 1980 के दशक के उत्तरार्द्ध से, डॉ. एल’हुइलियर ने ऐसे कई अध्ययनों की अगुवाई की जिनमें यह पाया गया कि एक अक्रिय (नोबल) गैस के एक निश्चित आयतन पर एक अवरक्त (इन्फ्रारेड) किरण को डाले जाने पर कई अधिस्वर (ओवरटोन) उत्पन्न होते हैं।
  • ये ओवरटोन ऐसी ध्वनि तरंगें होती हैं, जिनका तरंगदैर्ध्य ‘मूल’ प्रकाश तरंग का पूर्णांक-अंश होता है। उनके दल ने मूल तरंग की आवृत्ति और ओवरटोन की तीव्रता के बीच एक अजीब संबंध भी पाया और क्वांटम यांत्रिकी के मौजूदा नियमों का उपयोग करके इस पूरी प्रक्रिया की व्याख्या की, जोकि वैज्ञानिक अनुसंधान के लिहाज से एक मील का पत्थर है।
  • अगर ओवरटोन तरंगों के शिखर पंक्तिबद्ध होते हैं, तो वे अधिक तीव्र शिखर (रचनात्मक हस्तक्षेप) उत्पन्न करने के लिए संयोजित होंगे और जब एक तरंग का शिखर दूसरे तरंग के गर्त के साथ मेल खाता है, तो वे स्वयं को निष्प्रभावी बना देते हैं (विनाशकारी हस्तक्षेप)।
  • भौतिक विज्ञानियों ने महसूस किया कि इस सुदृढ़ीकरण प्रभाव को कुछ इस तरह समयबद्ध किया जा सकता है कि अक्रिय गैस कुछ एटोसेकंड की पल्स अवधि के साथ तीव्र शिखर का उत्सर्जन करें, जिसमें विनाशकारी हस्तक्षेप अंतिम सीमा (कट-ऑफ) तक जाए।
  • डॉ. एगोस्टिनी और उनके दल ने 2001 में 250 एटोसेकंड की पल्स अवधि के साथ प्रकाश उत्पन्न करके इसका प्रदर्शन किया। उसी साल, डॉ. क्रॉस्ज और उनके दल ने 650 एटोसेकंड अवधि की एक एकल पल्स को अलग किया और इसका उपयोग फोटॉन के एक समूह द्वारा क्रिप्टन परमाणुओं से निकाले गए इलेक्ट्रॉनों की गतिज ऊर्जा को मापने के लिए किया।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download