कौशल बढ़ाने के अवसर

प्रसंग:

  • तेजी से बदलते नौकरियों के परिदृश्य में कौशल के निरंतर विकास की जरूरत से इनकार नहीं किया जा सकता। एक पेशेवर के रूप में कॅरिअर में आगे रहने के लिये सभी को लर्निंग और अपस्किलिंग के लिए प्रतिबद्ध होना ही पड़ेगा।

सरकारी प्रयास:

  • आर्थिक सर्वे 2022-23 के मुताबिक अकेले प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत ही 1.1 करोड़ से अधिक को प्रशिक्षित किया जा चुका है, जिनमें से 21.4 लाख विभिन्न सेक्टरों में सफलतापूर्वक काम कर रहे हैं।
  • भारत सरकार ने भी अनेक कौशल विकास कार्यक्रम चलाए हैं। राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) ऐसा ही एक प्रयास है। यह भारत सरकार और निजी इकाइयों का एक गैरलाभकारी संगठन है। इसने अपस्किलिंग के लिए अनेक पहल की हैं:

1. प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना: यह एनएसडीसी का फ्लैगशिप प्रोजेक्ट है। इसकी परिकल्पना युवाओं को उद्योगों के लिए प्रासंगिक कौशल सिखाने के लिए की गई है, ताकि उनकी रोजगार-क्षमता बढ़े। इसके सफल उम्मीदवारों को कौशल के साथ ही वित्तीय लाभ और प्लेसमेंट में सहायता भी मिलती है।

2. रोजगार मेला: एनएसडीसी के अनेक कार्यक्रमों के तहत रोजगार मेले आयोजित किए जाते हैं। ये आयोजन नौकरी की तलाश करने वालों और नियोक्ताओं के बीच एक पुल का काम करते हैं। इससे जॉब प्लेसमेंट्स के अवसर निर्मित होते हैं।

3. प्रधानमंत्री कौशल केंद्र: ये व्यक्तियों को उद्योग-आधारित कौशल सिखाते हैं। ये प्रशिक्षण केंद्र और प्रयोगशालाएं कौशल-विकास का गढ़ हैं और वे यह सुनिश्चित करती हैं कि यहां से निकलने वाला व्यक्ति रोजगार पाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो।

4. क्षमता निर्माण योजना: यह प्रशिक्षकों की क्षमताओं को बढ़ाने और जरूरी बुनियादी-ढांचा विकसित करने पर फोकस करती है। अगर प्रशिक्षक कुशल होगा तो कार्यबल भी कार्यकुशल होगा।

5. उड़ान: कश्मीर के युवाओं के लिए उड़ान उम्मीद की एक किरण है। यह घाटी में कौशल-विकास प्रशिक्षण देते हुए नौकरियों के अवसर मुहैया कराता है।

6. इंडिया-इंटरनेशनल कौशल केंद्र: इसका लक्ष्य भारतीय युवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर का कौशल-प्रशिक्षण देकर उन्हें वैश्विक जॉब मार्केट में प्रतिस्पर्धी बनाना है।

7. प्री-डिपार्चर ओरिएंटेशन ट्रेनिंग: यह उन भारतीय कामगारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो रोजगार के लिए विदेश जाने की तैयारी कर रहे हैं। यह ओरिएंटेशन और कौशल-विकास प्रदान करके सुनिश्चित करता है कि जब वे विदेश में काम करना शुरू करें तो उसके लिए पूरी तरह से तैयार हों।

8. एजुकेशन मीट्स एम्प्लॉयबिलिटी: ये स्कूलों और उच्चशिक्षा के लिए योजनाएं हैं। उनका लक्ष्य शिक्षा और रोजगार-पात्रता के बीच के अंतर को पाटना है। इसके लिए वे विद्यार्थियों को रोजगारोन्मुखी कौशल प्रदान करती हैं और उन्हें औद्योगिक कार्यान्वयन से परिचित कराती हैं। इससे वे अधिक आत्मविश्वास के साथ कार्यबल में प्रविष्ट हो पाते हैं।

अन्य कार्यक्रम:

  • एनएसडीसी के ही समांतर प्रशिक्षण महानिदेशालय यानी डीजीटी ने भी अनेक कार्यक्रम चलाए हैं, जिनमें क्राफ्ट्समैन ट्रेनिंग स्कीम, क्राफ्ट्स इंस्ट्रक्टर ट्रेनिंग स्कीम, अप्रेंटिसशिप ट्रेनिंग, एडवांस्ड वोकेशनल ट्रेनिंग स्कीम, वोकेशनल ट्रेनिंग प्रोग्राम फॉर वीमेन आदि हैं।
  • अन्य पहलों में प्रधानमंत्री युवा योजना, कौशल ऋण योजना, भारतीय कौशल संस्थान (आईआईएसएस), आजीविका संवर्धन के लिये कौशल अधिग्रहण और ज्ञान जागरूकता (संकल्प) प्रमुख हैं।
  • बात केवल रोजगार पाने की ही नहीं, तेजी से बदलते जॉब मार्केट में निरंतर प्रगति करने की भी है। कौशल विकास कार्यक्रमों में टेक्नोलॉजी के समावेश से प्रतिभागियों को तकनीक-आधारित कौशल सीखने का अवसर मिलता है, जो आज की डिजिटल अर्थव्यवस्था के दौर में अत्यंत आवश्यक है।

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