प्रसंग:
- देश की राजधानी दिल्ली और उसके आसपास बसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में तेजी से ओजोन प्रदूषण का खतरा बढ़ रहा है। इसके अलावा इस क्षेत्र में कई और प्रकार के प्रदूषक भी तेजी से अपने पैर पसार रहे हैं।
- समय रहते यदि इस पर नियंत्रण नहीं किया गया तो भविष्य में आमजन के स्वास्थ्य के लिए एक भयावह संकट पैदा हो सकता है। इस संकट पर काबू पाने के लिए सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट ने एक चेतावनी जारी की है।
गंभीर चेतावनी:
- ओजोन की तेजी से बढ़ती समस्या को लेकर लगातार चेताने के बावजूद अपर्याप्त निगरानी, सीमित आंकड़े और विश्लेषण के अनुपयुक्त तरीकों ने इस बढ़ते सार्वजनिक स्वास्थ्य खतरे की समझ को लगातार और कमजोर किया है। यही नहीं केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा प्रतिदिन वायु प्रदूषण द्वारा एकत्रित किए जा रहे आंकड़े भी इस प्रदूषक को पकड़ पाने में असफल साबित हो रहे हैं।
ध्यान देने की आवश्यकता क्यों?
- अब तक स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए शोध यह बताते हैं कि ओजोन प्रदूषण भारत में एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में तेजी से बढ़ रही है। स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर-2020 की रिपोर्ट में कहा गया है कि ओजोन प्रदूषण के कारण भारत में मृत्यु दर सबसे अधिक है। जमीनी स्तर का ओजोन किसी भी स्रोत से सीधे तौर पर उत्सर्जित नहीं होती है। यह नाइट्रोजन ऑक्साइड, वाष्पशील कार्बनिक यौगिकों, कार्बन मोनोऑक्साइड के बीच क्रिया करने से उत्पन्न होती है। ओजोन न शहरी प्रदूषण के कारण बनती है। यह न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है बल्कि फसल उत्पादन और खाद्य सुरक्षा को भी प्रभावित करती है।
- इस अत्यधिक प्रतिक्रियाशील गैस के कई प्रकार के गंभीर स्वास्थ्य परिणाम सामने आए हैं। इससे सांस की समस्या, अस्थमा और विशेष रूप से समय से पहले फेफड़े को गंभीर खतरा होता है। यह सांस लेने वाली नलिका में सूजन जैसी क्षति पहुंचा सकती है। इसके अलावा फेफड़ों को संक्रमण के प्रति अतिसंवेदनशील बना सकती है, अस्थमा के दौरे को बढ़ा सकती है।
- गर्मी के लगभग सभी दिनों में ग्राउंड-लेवल पर ओजोन की अधिकता की सूचना दी जाती है। पिछले पांच वर्षों में यह देखा गया है कि जमीनी स्तर पर ओजोन सभी मौसम में समस्या बनी रही है, लेकिन यह अप्रैल और मई के महीनों में खतरनाक स्थिति पैदा करती है।
- जमीनी स्तर पर ओजोन खतरनाक तरीके से वर्ष भर में कभी भी पैदा हो सकती है। लेकिन यह आमतौर पर जब गर्मी नहीं होती तो इसके पैदा होने की संभावना काफी कम रहती है। इसके लिए व्यापक रूप से तेज गर्मी और तेज धूप की आवश्यकता अधिक होती है जो कि आमतौर पर गर्मियों में मौजूद होती है। विशेष रूप से अप्रैल से मई के बीच का समय इसके पैदा होने की सबसे अधिक अनुकूल स्थिति होत है।
- मार्च-अप्रैल के दौरान दिल्ली-एनसीआर में जमीनी स्तर के ओजोन प्रदूषण का भौगोलिक प्रसार पिछले पांच वर्षों में सबसे कम रहा है। यही नहीं ओजोन का प्रसार दिल्ली-एनसीआर में हर साल के मुकाबले इस वर्ष कम रहा है।
- भले ही इस गर्मी में जमीनी स्तर के ओजोन का प्रसार कम हुआ हो, लेकिन इसकी अवधि बढ़ गई है। नई दिल्ली और दक्षिण दिल्ली के आसपास का इलाका ओजोन प्रदूषण से सबसे ज्यादा प्रभावित है।
- गाजियाबाद, गुरुग्राम और ग्रेटर नोएडा भी ओजोन प्रदूषण से गंभीर रूप से प्रभावित हैं। फरीदाबाद क्षेत्र में ओजोन की अधिकता के कम से कम मामले सामने आए हैं।