परिचय:
- भू-वैज्ञानिक काल, चट्टानों और धरती के विभिन्न परतों के स्तरीकरण आदि पर आधारित होता है। चट्टानों, तलछटों और जीवाश्मों आदि में जो पाया जाता है, उसका प्रयोग उस ग्रह की आयु निर्धारित करने के लिए किया जाता है। भू-वैज्ञानिक डेटिंग से वैज्ञानिक प्राचीन समय को बेहतर ढंग से समझ पाते हैं, जिसमें एकल-कोशिका वाले जीवों से लेकर डायनासोर और प्राइमेट से लेकर प्रारंभिक मनुष्यों, पौधों और जानवरों के जीवन का विकास क्रम शामिल है।
- 1911 में आर्थर होम्स ने पहला स्वीकृत इंटरनेशनल भू-वैज्ञानिक टाइम स्केल बनाया। कुछ समय पहले तक हम होलोसीन युग में रह रहे थे, जो ग्लोबल वॉर्मिंग और हिमयुग की वापसी के साथ ग्रेगोरियन कैलेंडर शुरू होने से लगभग 9700 साल पहले शुरू हुआ था। और अब हम भूगर्भीय काल के एंथ्रोपोसीन युग में पहुंच चुके हैं।
एंथ्रोपोसीन युग:
- होमो सेपियंस यानी कि हम इस धरती पर तकरीबन 2 लाख सालों से हैं। यह काल धरती के 4.5 अरब सालों के इतिहास का छोटा-सा हिस्सा मात्र है, हालांकि हमारी मौजूदगी के इस छोटे-से काल के कई परिणाम सामने आए। साल 2000 में एक डच मौसम विज्ञानी पॉल क्रुटज़ेन ने सुझाव दिया कि पृथ्वी पर मानव प्रभाव इतना गहरा हो गया है कि इसका प्रभाव लाखों वर्षों तक भूवैज्ञानिक रिकॉर्ड में दिखेगा।
- उन्होंने तर्क दिया कि भूवैज्ञानिक समय के एक नए युग को स्वीकार करना शुरू करना चाहिए और होलोसीन को समाप्त करना चाहिए। इन मुद्दों पर काम करने वाले आधिकारिक समूह ने जुलाई 2023 में एंथ्रोपोसीन युग शुरू करने की सिफारिश की। टोरंटो के पास क्राफोर्ड झील में तलछटों की परत को इस युग की शुरुआत के सबूत के तौर पर माना जा रहा है, जो कि 1950 में न्यूक्लियर युग की शुरुआत के तुरंत बाद शुरू हुआ।
- ऐसा माना जाता है कि इंसानी गतिविधियों ने बड़े पैमाने पर पृथ्वी को बदल दिया है। पिछले 250 वर्षों में वायुमंडल में कार्बन डाइऑक्साइड लगभग आधी बढ़ गई है, जो 30 लाख सालों के अपने उच्चतम स्तर पर है। इससे अगले हिमयुग की शुरुआत में हजार साल की देरी हो सकती है।
- समुद्र में माइक्रोप्लास्टिक के रूप में फेंका जा रहा कूड़ा समुद्र तल की परतें बढ़ा रहा है, ऐसा इससे पहले कभी नहीं देखा गया। कई प्रजातियां विलुप्त हो गई हैं और कई जहाज़ और हवाई यात्रा के जरिए दुनिया भर में बिखर गई हैं। पहले की दुनिया में जो भौतिक, रासायनिक और जीववैज्ञानिक बदलाव हुए थे, उसके कारण प्राकृतिक थे, पर इस बार वजह हम हैं।
निष्कर्ष:
- जुरासिक काल वह भूवैज्ञानिक काल है, जो कि 14.5 से 20 करोड़ साल पुराने समय को दर्शाता है। जैसे औद्योगिक युग, इंटरनेट युग और अब एआई युग है, वैसे ही पृथ्वी की आयु भी भू-वैज्ञानिक समय से परिभाषित होती है।
- जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमारे लिए यह महत्वपूर्ण है कि एंथ्रोपोसीन का अंत कब और कैसे होगा? क्या हम इसी तरह दोहन करते रहेंगे या पर्यावरण पर बहुत ज्यादा दबाव डाले बिना अर्थव्यवस्था आगे बढ़ाएंगे? कार्बन चक्र को रिसाइकल-रिबैलेंस करेंगे या फिर इसका अंत भयानक और अचानक आने वाली विपत्ति से होगा? हजारों साल बाद अगर कोई झांक सके, तो धरती की परतों और जीवाश्मों में यह बदलाव दिखाई देंगे।