प्रसंग:
- दुनिया भर में बढ़ता तापमान अपने साथ अनगिनत समस्याएं भी साथ ला रहा है, जिनकी जद से भारत भी बाहर नहीं है। ऐसी ही एक समस्या देश में गहराता जल संकट है जो जलवायु में आते बदलावों के साथ और गंभीर रूप ले रहा है।
- वैज्ञानिकों ने भारत में भूजल को होने वाले नुकसान की दरों का अनुमान लगाने के लिए 10 जलवायु मॉडलों से प्राप्त बारिश और तापमान के अनुमानों का उपयोग किया है।
तथ्य:
- दुनिया भर में भूमिगत जल, साफ पानी का सबसे ज्यादा प्रयोग किया जाने वाला स्रोत है।
- भारत में हर साल 230 क्यूबिक किलोमीटर भूजल का उपयोग किया जा रहा है।
- भारत दुनिया के अन्य देशों की तुलना में पहले ही कहीं ज्यादा तेजी से अपने भूजल का दोहन कर रहा है, जोकि भूजल के वैश्विक उपयोग का लगभग एक चौथाई हिस्सा है।
- भारत दुनिया में सबसे ज्यादा भूजल का उपयोग करने वाला देश है जो क्षेत्रीय और वैश्विक खाद्य उत्पादन दोनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- 2040 से 2080 के बीच भूजल में आती गिरावट की दर तीन गुणा बढ़ सकती है।
- जलवायु में आते बदलावों के चलते 2050 तक देश की प्रमुख फसलों की उपज में 20 फीसदी तक की कमी आ सकती है।
- वैश्विक स्तर पर करीब 200 करोड़ लोग, अपनी रोजमर्रा की जरूरतों और सिंचाई के लिए भूजल पर ही निर्भर हैं।
मुख्य बिंदु:
- बढ़ते तापमान और गर्म जलवायु के चलते भारत आने वाले दशकों में अपने भूजल का कहीं ज्यादा तेजी से दोहन कर सकता है।
- देश में इसकी सबसे ज्यादा खपत कृषि के लिए की जा रही है। देश में गेहूं, चावल और मक्का जैसी प्रमुख फसलों की सिंचाई के लिए भारत बड़े पैमाने पर भूजल पर निर्भर है। लेकिन जैसे-जैसे तापमान में वृद्धि हो रही है, खेत तेजी से सूख रहे हैं।
- इसके साथ ही मिट्टी में नमी को सोखने की क्षमता भी घट रही है, जिसकी वजह से भारत में भूजल स्रोतों को रिचार्ज होने के लिए पर्याप्त जल नहीं मिल रहा है। नतीजन साल दर साल देश में भूजल का स्तर तेजी से नीचे गिरता जा रहा है।
- अनुमान है कि बढ़ते तापमान के साथ जल उपलब्धता में आने वाली इस गिरावट के चलते एक तिहाई लोगों की जीविका पर खतरा मंडराने लगेगा। इसके न केवल भारत में बल्कि वैश्विक परिणाम भी सामने आएंगें। साथ ही इससे देश में खाद्य सुरक्षा के लिए भी संकट पैदा हो जाएगा।
- देश में बढ़ते तापमान के चलते फसलों पर पड़ने वाले दबाव से निपटने के लिए पानी की मांग बढ़ सकती है। इसकी वजह से किसानों को फसलों की सिंचाई में वृद्धि कर सकती है।
उत्तरदायी कारक:
- बढ़ते तापमान और सर्दियों में बारिश में आती गिरावट के चलते भूजल में गिरावट आ रही है, जिसकी भरपाई मानसून में होने वाली अतिरिक्त बारिश भी नहीं कर पा रही।
- यदि तापमान में होती वृद्धि इसी तरह जारी रहती है तो बढ़ते तापमान से भूजल में आती गिरावट की दर तीन गुणा बदतर हो सकती है, जो दक्षिण और मध्य भारत के क्षेत्रों को भी प्रभावित करेगी।
- शोधकर्ताओं ने कई स्रोतों से प्राप्त आंकड़ों को एकत्र किया है और उनका एक डेटासेट तैयार किया है। इसमें देश के हजारों कुओं में भूजल के स्तर, फसलों पर बढ़ता जल तनाव और उपग्रह से प्राप्त आंकड़ों के साथ मौसम संबंधी रिकॉर्ड को भी शामिल किया गया है।
- वैज्ञानिकों का अनुमान है कि उत्तर भारत जोकि देश में गेहूं और चावल का प्रमुख उत्पादक क्षेत्र है, वहां 5,400 करोड़ घन मीटर प्रति वर्ष की दर से भूजल घट रहा है। 2050 तक दुनिया के 79 फीसदी तक भूजल स्रोत खत्म हो जाएंगे।
- नीति आयोग ने भी अपनी एक रिपोर्ट में देश में लगातार घटते भूजल के स्तर को लेकर चिंता जताई थी। इस रिपोर्ट के अनुसार भूजल में आ रही यह गिरावट 2030 तक गंभीर खतरे का रूप ले लेगी। इतना ही नहीं 2020 तक दिल्ली, बेंगलुरु, चेन्नई और हैदराबाद सहित 21 शहरों में भूजल करीब-करीब खत्म होने की कगार पर पहुंच जाएगा।
आगे की राह:
- हाल ही में संयुक्त राष्ट्र द्वारा जारी नई 'वर्ल्ड वाटर डेवलपमेंट रिपोर्ट 2023' में जारी आंकड़ों से पता चला है कि 2050 तक शहरों में पानी की मांग 80 फीसदी तक बढ़ जाएगी। वहीं यदि मौजूदा आंकड़ों पर गौर करें तो दुनिया भर में शहरों में रहने वाले करीब 100 करोड़ लोग जल संकट से जूझ रहे हैं। वहीं अनुमान है कि अगले 27 वर्षों में यह आंकड़ा बढ़कर 240 करोड़ तक जा सकता है। इससे भारत सबसे ज्यादा प्रभावित होगा, जहां पानी को लेकर होने वाली खींचातानी कहीं ज्यादा गंभीर रूप ले लेगी।
- भारत सरकार ने मार्च 2018 में 'अटल भूजल योजना' का प्रस्ताव रखा था, जिसे विश्व बैंक की सहायता से 2018-19 से 2022-23 की पांच वर्ष की अवधि के लिए कार्यान्वित किया जाना है। इस योजना लक्ष्य गिरते भूजल का गंभीर संकट झेल रहे सात राज्यों गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में संयुक्त भागीदारी से भूजल का उचित और बेहतर प्रबंधन करना है।
- सरकार ने 'जलदूत' नामक मोबाइल ऐप भी लॉन्च किया है। इसका मकसद भारत के गांवों में गिरते भूजल के जलस्तर का पता लगाना है, जिससे पानी की समस्या को दूर किया जा सके।
- भारत में जल संकट, जल संसाधनों की कमी के चलते नहीं बल्कि उसके कुप्रबंधन के कारण बढ़ रहा है।