प्रसंग:
- उत्तराखंड की श्रीनगर-गढ़वाल घाटी में सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) का स्तर लगातार बढ़ रहा है। इस बात का खुलासा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में किया है।
- अध्ययन जिसका शीर्षक- 'क्षेत्रीय वायु गुणवत्ता: बायोमास दहन, भारत के उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता पर एसओ2 उत्सर्जन का प्रभाव' है। यह अध्ययन स्प्रिंगर नामक पत्रिका में प्रकाशित किया गया है।
मुख्य बिंदु:
- विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक 2019 में, दुनिया की 99 फीसदी आबादी उन जगहों पर रह रही थी जहां वायु गुणवत्ता का स्तर बहुत अच्छा नहीं था। डब्ल्यूएचओ ने यह भी अनुमान है कि परिवेशी या बाहरी वायु प्रदूषण के कारण 2019 में दुनिया भर में 42 लाख मौतें समय से पहले हो गई थी।
- इन सभी को देखकर, अक्सर लोग स्वस्थ रहने के लिए पहाड़ी इलाकों का रुख करते हैं ताकि उन्हें साफ वातावरण में समय बिताने का मौका मिले, लेकिन अब वायु प्रदूषण की जद में पहाड़ भी आने लगे हैं।
- शोधकर्ताओं ने जंगल की आग, वाहन प्रदूषण और ढांचागत कार्य को इसके लिए जिम्मेदार माना है।
- शोधकर्ताओं ने इसका सीधा संबंध जंगल की आग से पाया, साथ ही कहा कि, बढ़ती एसओ2 चिंता का कारण है।
- विशेषज्ञों का कहना है कि बायोमास जलाना, लंबी दूरी का यातायात और पहाड़ियों पर विस्फोट सहित व्यापक ढांचागत कार्य समस्या में बहुत भारी जिम्मेदारी निभा रहे हैं। शोधकर्ता ने कहा, वातावरण में एसओ2 की बहुत अधिक मात्रा तेज गति से पुरानी बीमारियों को जन्म दे सकती है।
- इनमें सांस संबंधी समस्याएं, हृदय रोग, दमा संबंधी समस्याएं और यहां तक कि फेफड़ों का कैंसर भी शामिल है। उन्होंने कहा कि यह वायुमंडलीय रसायन विज्ञान को भी प्रभावित कर सकता है, यह जहरीला कोहरा और अम्लीय बारिश के लिए भी जिम्मेवार है।
- अध्ययन में कहा गया है, कि इसका उद्देश्य एसओ2 की रोजमर्रा होने वाली मौसमी विविधताओं को समझना और इसके स्रोतों और मौसम संबंधी मापदंडों की पहचान करना था।
- अध्ययन में कहा गया है, शुरुआती योगदान करने वाले स्रोतों में से एक बद्रीनाथ, केदारनाथ और हेमकुंड साहिब तीर्थयात्रा के दौरान इस क्षेत्र में गतिविधि और औली और चोपता के हिल स्टेशनों में बढ़ती गतिविधि भी है। शोधकर्ताओं ने बताया कि, सप्ताहांत पर पर्यटक गतिविधियों, दिवाली के आसपास लकड़ी जलाने और पटाखों ने भी भारी योगदान दिया है।
- शोधकर्ता ने कहा, खाड़ी क्षेत्र, पश्चिमी पाकिस्तान, अफगानिस्तान, पूर्वी राजस्थान, पंजाब और हरियाणा से वायु द्रव्यमान घाटी में प्रदूषकों को बढ़ा रहा है।
- हालांकि, अध्ययन बताता है कि राज्य की राजधानी देहरादून की तुलना में घाटी अभी भी बेहतर स्थिति में है, लेकिन समस्या पूर्वी राज्य मिजोरम की तुलना में अधिक हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह प्रवृत्ति चिंताजनक है और इसका लोगों के स्वास्थ्य और घाटी के पारिस्थितिकी तंत्र पर लंबे समय तक प्रभाव पड़ेगा।