प्रसंग:
- हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका में मच्छर जनित मलेरिया संक्रमण के आधा दर्जन से अधिक मामले सामने आए।
- दो दशकों में पहली बार है कि संक्रमण अंतरराष्ट्रीय यात्रा से जुड़े होने के बजाय देश में स्थानीय स्तर पर फैला है।
बहस का मुद्दा क्यों?
- अमेरिका में मलेरिया की वापसी एक जैव प्रौद्योगिकी प्रयोग से जुड़ी हुई प्रतीत होती है, जब कोरोनो वायरस महामारी के बीच अमेरिकी पर्यावरण एजेंसी ने अमेरिका के जंगली फ्लोरिडा कीज़ क्षेत्र में 750 मिलियन आनुवंशिक रूप से संशोधित (जेनेटिकली मोडिफाइड – जीएम) मच्छरों को छोड़ने की अनुमति दी; ‘ये विशेष मच्छर नर हैं और उन्हें आनुवंशिक रूप से एक प्रोटीन ले जाने के लिए संशोधित किया गया है, जो जंगली मादा मच्छरों के साथ संभोग करने पर उनकी मादा संतानों के अस्तित्व को रोक देगा।’
- आधुनिक जैव प्रौद्योगिकी में आनुवंशिक संशोधन भी शामिल है। जीएम कीटों को बढ़ावा देने की मुख्य प्रेरणा उन प्रजातियों की आबादी को नियंत्रित करना है, जो संक्रामक रोगजनकों का संक्रमण करते हैं।
- वेक्टर नियंत्रण के लिए आनुवंशिक रणनीतियों में जनसंख्या दमन, नियंत्रण, उन्मूलन या विशिष्ट कीट प्रजातियों का प्रतिस्थापन शामिल है, ऐसे जीन विकसित करके, जो घातक हैं या कीट को प्रजनन करने में असमर्थ बनाते हैं।
- वैज्ञानिक समुदाय का एक वर्ग चेतावनी देता रहा है कि आनुवंशिक संशोधन (जीएम) अंतर्निहित जोखिमों के बिना नहीं आता है।
- पर्यावरणविदों ने इसे ‘जुरासिक पार्क प्रयोग’ कहकर इसकी निंदा की थी।
समस्या क्यों?
- आनुवंशिक रूप से संशोधित मच्छर ‘अधिक मजबूत’ थे – कीटनाशकों के प्रति अधिक प्रतिरोधी थे, जीवित रहे और स्थानीय मच्छरों की आबादी में अपने जीन को स्थानांतरित करने में सफल रहे।
- आनुवंशिक संशोधन प्रयोगों के ‘अप्रत्याशित’ परिणाम हो सकते हैं, पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान हो सकता है और हाइब्रिड-कीटनाशक-प्रतिरोधी मच्छरों का जन्म हो सकता है। वैज्ञानिक समुदाय में कुछ लोगों का मानना है कि जीका वायरस प्रयोगशाला में बनाया गया था, एक जैविक युद्ध प्रयोग, जो नियंत्रण से बाहर हो गया था।
- जैव प्रौद्योगिकी में हाल की प्रगति के साथ मच्छर, फल मक्खियों, रेशम कीट और कुछ लेपिडोप्टेरान कीटों सहित विभिन्न प्रकार के कीड़ों को आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किया गया है और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ये शोध अनुसंधान के विभिन्न चरणों में हैं।
- कृषि में प्रौद्योगिकी उतनी व्यापक रूप से आगे नहीं बढ़ी है, क्योंकि कीटनाशक सस्ते और उपयोग में आसान हैं। आबादी पर अंकुश लगाने के लिए आनुवंशिक रूप से संशोधित कीड़ों को छोड़ना महंगा पड़ जाएगा, क्योंकि कीटों को पूरी तरह से खत्म करने के लिए इसे बार-बार करना होगा।
- लेकिन जब आनुवंशिक हेरफेर की बात आती है तो यह आधार इतना सरल नहीं है, जिसमें एक अहानिकर प्रयोग के भी विनाशकारी परिणाम हो सकते हैं, जैसा कि मच्छर जनित बीमारियों को नियंत्रित करने के लिए आनुवंशिक रणनीतियों में देखा जा सकता है।
भारत के लिये समस्या क्यों?
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग की भारत जैवअर्थव्यवस्था रिपोर्ट के अनुसार, भारत की जैव-अर्थव्यवस्था ने 2020 में 14 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की और 2021 में भारत की जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी 2.6 प्रतिशत रही, जिसका अनुमान 80 बिलियन डॉलर से अधिक है और 2030 तक इसे लगभग 5 प्रतिशत तक बढ़ाने की कल्पना की गई है।
- कोविड-19 महामारी के बीच भारत के बायोइकोनॉमी उद्योग में तेजी देखी गई। जैसे-जैसे नैदानिक परीक्षण, एंटी-वायरल, टीके इत्यादि, कोविड का मुकाबला करने के लिए विकसित किए जा रहे थे, यह समझ बनने लगी कि जैव प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए नवाचार और वित्त पोषण को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए।
- 1970 में विश्व स्वास्थ्य संगठन और भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के बीच एक समझौते के बाद मलेरिया (एनोफिलिस) और फाइलेरिया (क्यूलेक्स) के वेक्टर को नियंत्रित करने के लिए दिल्ली में बड़े पैमाने पर निष्फल मच्छरों को छोड़ने का एक प्रयोग किया गया। लेकिन यह कार्यक्रम विफल रहा।
- ऑक्सीटेक, बिल और मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के वित्त पोषण द्वारा भारत में भी आनुवंशिक रूप से संशोधित कीड़ों की प्रयोगात्मक रिलीज आयोजित करने की मांग कर रही है।
- बाद में, ऑक्सीटेक ने भारतीय एजेंसी जीबीआईटी के साथ साझेदारी करते हुए इसने जालना (महाराष्ट्र) में ‘फ्रेंडली™ एडीज’ परियोजना शुरू करने की घोषणा की, जिसमें आनुवंशिक रूप से संशोधित एडीज एजिप्टी के पिंजरा परीक्षणों (Caged Trials) का उद्घाटन किया गया, जिससे संतानों की मृत्यु हो सकती है।
- हालांकि भारतीय नियामक अधिकारियों से औपचारिक मंजूरी कभी नहीं मिली और जीएम मच्छरों की प्रायोगिक रिहाई को रोक दिया गया। जिले के लोग ऐसे किसी भी परीक्षण, आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किए गए कीड़ों के निहितार्थ और इससे क्षेत्र की जैव विविधता के लिए पैदा होने वाले खतरे से अनभिज्ञ थे।
- ऑस्ट्रेलिया की मोनाश यूनिवर्सिटी के सहयोग से वोल्बाचिया बैक्टीरिया से संक्रमित मच्छरों के साथ स्थानीय एडीज एजिप्टी मच्छरों की क्रॉस-ब्रीडिंग पर शोध किया जा रहा है। सैद्धांतिक रूप से वोल्बाचिया-संक्रमित मच्छर अपने जंगली समकक्षों के साथ प्रजनन करते हैं, जिसके परिणामस्वरूप एडीज मच्छर पर नियंत्रण हो जाता है।
- अप्रैल 2023 में जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने आनुवंशिक रूप से इंजीनियर कीड़ों पर शोध के लिए दिशानिर्देश और एसओपी (मानक संचालन प्रक्रिया) जारी किए। ये दिशानिर्देश आनुवंशिक रूप से इंजीनियर किए गए कीड़ों के अनुसंधान और प्रबंधन में शामिल सभी सार्वजनिक और निजी संगठनों के लिए लागू हैं।
- इसका उद्देश्य आनुवंशिक रूप से इंजीनियर जीवों की सुरक्षित हैंडलिंग के लिए आयात, निर्यात, स्थानांतरण, प्राप्त करने के साथ-साथ रोकथाम आवश्यकताओं के लिए नियामक मार्ग निर्दिष्ट करना है।
- रीकॉम्बिनेंट डीएनए सलाहकार समिति (आरडीएसी) और आनुवंशिक हेरफेर पर समीक्षा समिति (आरसीजीएम) के अलावा कई अन्य निकाय आनुवंशिक हेरफेर पर सलाह देने का काम करते हैं।
- जैव प्रौद्योगिकी विभाग के लिए ‘अधिक फंडिंग के साथ-साथ, ऐसी नीतियों की आवश्यकता होगी, जो भारतीय वैज्ञानिकों को जोखिम लेने की क्षमता प्रदान करें, ताकि नवाचार और औद्योगिक कार्रवाई का एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जा सके।’
निष्कर्ष:
- कीट नियंत्रण के रूप में कीड़ों को आनुवंशिक रूप से संशोधित करना कोई नया विचार नहीं है और वैज्ञानिक दशकों से इस पर प्रयोग कर रहे हैं। पिछले कुछ वर्षों में रीकॉम्बिनेंट डीएनए अनुसंधान में बदलाव आया है, जिसमें जीन संपादन के नए तरीकों से बीमारियों और विज्ञान को समझने के लिए व्यापक अवसर मिलते हैं, जिससे नई खोज संभव हो पाती है।
- घटती लागत और जैव प्रौद्योगिकी की बढ़ती प्रभावकारिता का मतलब है कि विज्ञान-संचालित अर्थव्यवस्थाओं में भविष्य में और अधिक आश्चर्यजनक प्रयोग देखने को मिल सकते हैं, क्योंकि जेनेटिक इंजीनियरिंग वायरल वेक्टर का उपयोग करती है, जो जीन संचारित करते हैं, सटीक नतीजों की भविष्यवाणी कभी नहीं की जा सकती है।
- हालांकि, जैव प्रौद्योगिकी कुछ चिकित्सीय स्थितियों में एकमात्र व्यवहार्य समाधान साबित हो सकती है, समाज के लाभ के लिए एहतियात और नवाचार के बीच संतुलन स्थापित करने की आवश्यकता है। किसी भी क्षेत्रीय परीक्षण के औचित्य का मूल्यांकन उसके वैज्ञानिक उद्देश्यों और नैतिक मुद्दों दोनों के गुणों के आधार पर किया जाना चाहिए।