संकट में जल संसाधन

प्रसंग:

  • विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने आगाह किया है कि जलवायु परिवर्तन और बढ़ते इंसानी हस्तक्षेप के कारण धरती पर मौजूद जल संसाधन बड़े पैमाने पर प्रभावित हो रहे हैं, इसकी वजह से पृथ्वी का जल चक्र तेजी से गड़बड़ा रहा है।
  • यह जानकारी विश्व मौसम विज्ञान संगठन द्वारा जारी नई रिपोर्टस्टेट ऑफ ग्लोबल वाटर रिसोर्सेज 2022’ में सामने आयी है।

तथ्य:

  • वैश्विक स्तर पर करीब 360 करोड़ लोग साल में कम से एक महीने जल संकट का सामना करने को मजबूर हैं। वहीं आशंका है कि यह आंकड़ा अगले 27 वर्षों में बढ़कर 500 करोड़ पर पहुंच जाएगा।

समस्याएँ:

  • भारत, दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में जल संकट की स्थिति पहले ही काफी गंभीर हो गई है।
  • एक तरफ सूखा और दूसरी तरफ भारी बारिश, जलवायु से जुड़ी ये चरम मौसमी घटनाएं आज जनजीवन और अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित कर रही हैं। इतना ही नहीं हिमालय, आल्प्स जैसे पहाड़ों पर पिघलती बर्फ और घटते ग्लेशियरों ने बाढ़ जैसी आपदाओं के खतरों को कहीं ज्यादा बढ़ा दिया है। इनकी वजह से लाखों लोगों के लिए उपलब्ध जल संसाधन धीरे-धीरे घटता जा रहा है। नतीजन भविष्य में इसके गंभीर परिणाम सामने सकते हैं।
  • ग्लेशियर और बर्फ के आवरण हमारी नजरों के सामने ही घट रहे हैं। बढ़ता तापमान ने केवल जल चक्र को तेज बल्कि बाधित भी कर रहा है। गर्म वातावरण में अतिरिक्त नमी होती है, जिससे भारी बारिश और बाढ़ की घटनाएं सामने रही हैं। दूसरी तरफ, बढ़ते वाष्पीकरण से मिट्टी शुष्क हो रही है गंभीर सूखे की स्थितियां बन रही हैं।

अन्य बिंदु:

  • संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने अपनी इस रिपोर्ट के लिए उपग्रहों से प्राप्त आंकड़ों, जमीनी सर्वे, मॉडलिंग और रिमोट सेंसिंग जैसे तकनीकों की मदद ली है। इसमें जल संबंधित प्रमुख कारकों, जैसे भूजल, भूमिगत प्रवाह, वाष्पीकरण, नदियों के प्रवाह, मिट्टी में मौजूद नमी, जमे हुए जल स्रोत (क्रायोस्फीयर), जलाशय उनके प्रवाह, सतह पर मौजूद जल भंडार और जल संबंधित आपदाओं के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
  • यह रिपोर्ट दुनिया भर में जल संसाधनों का एक व्यापक और सुसंगत आकलन प्रस्तुत करती करती है, जिसमें जल संसाधनों पर जलवायु, पर्यावरणीय और सामाजिक बदलावों के पड़ने वाले प्रभावों को उजागर किया गया है।
  • 2022 में दुनिया के आधे से अधिक जलाशयों और जलग्रहण क्षेत्रों में स्थिति सामान्य से अलग थी। नदियों का प्रवाह भी उम्मीद से अलग था। अधिकांश जलाशय और जलग्रहण क्षेत्र सामान्य से अधिक शुष्क थे, जैसा कि 2021 में भी देखा गया था। इसी तरह 2022 में जहां कुछ क्षेत्र सामान्य से ज्यादा शुष्क थे, वहीं कुछ बहुत ज्यादा नम रहे।
  • इतना ही नहीं 2022 में 60 फीसदी से अधिक बड़े जलाशयों में पानी का प्रवाह सामान्य या उससे कम था। जो बदलती जलवायु में सभी के लिए पानी की आपूर्ति को कठिन बना रहा है। 2022 में, मिट्टी की नमी और वाष्पीकरण में आए बदलाव भी नदी के प्रवाह के समान ही थे।

Download this article as PDF by sharing it

Thanks for sharing, PDF file ready to download now

Sorry, in order to download PDF, you need to share it

Share Download