नोटबंदी के फायदे और नुकसान : अर्थशास्त्रीयों की प्रतिक्रिया

पूर्व वित्त सचिव सी एम वासुदेव की राय

1. कालाधन बाहर आएगा. नकली नोट में लगाम लगेगी.

2. टेररिस्ट, नक्सल, दहशतगर्द की फाइनेंसिंग पर भी अंकुश लगेगा.

3. हमेशा से कैश इकोनॉमी भारत में रही है, लेकिन अब लोगों को डिजिटल सिस्टम का पता चलेगा.

4. बैंकिंग व्यवस्था का विस्तार होगा. बैंकों में ज्यादा खाते खुलेंगे.

5. सी एम वासुदेव भी मानते हैं कि इस कालाधन बाहर आएगा.

- नोट बंदी के नुकसान बताते हुए सी एम् वासुदेव का कहना है

1. आर्थिक व्यवस्था कुछ महीने के लिए ठप्प हो जायेगी.

2. हमारी व्यवस्था अभी कैश में चलती है. ऐसे में संशय लोगो के बीच बना रहता है. इकोनॉमिक सिस्टम को छेड़ना अपने पोलिटिकल गेन के लिए खतरनाक है. 3. नए नोट भी रिश्वत की मार्किट में आ गए हैं. गरीब को रोज़ के रोज़गार में जीत है उसका हक़ मारा गया. क्योंकि उसका रोज़गार ख़त्म हो गया है.

4. आने वाले दिनों में सब्ज़ी के रेट आसमान छूने लगेंगे. जीडीपी पर भी असर पड़ेगा. ये डाउन जायेगी.

5. वित्तमंत्री को खुद एक दिन पहले नोटबंदी के बारे में पता चला है. तैयारी के बिना इस फैसले के साथ आई है पूरी तरह गलत है.

नोटबंदी का कदम और RBI की विश्वसनीयता

नोटबंदी के फायदों पर उद्योगपति सुनील अलग

1. आतंकवाद और जाली नोट पर लगाम लगेगी.

2. कैश की जगह बैंकिंग चैनल से लेन-देन बढ़ेगा.

3. सरकार के पास पैसे होंगे तो गरीबों के लिए अस्पताल खुलेंगे, सड़कें बनेंगी, घर सस्ते हो जाएंगे.

4. ब्याज दरें घटेंगी. उद्योग जगत की बरसों पुरानी मांग पूरी होगी.

5. निवेश बढ़ेगा, जिससे ज्यादा रोजगार पैदा होगा.

#मोहन गुरुस्वामी की राय

नोटबंदी के नुकसान

1. सरकार बिना तैयारी के इस नोटबंदी के मैदान में कूद पड़ी हैं और अब निकल नहीं पा रही है.

2. आर्थिक व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गई है. सरकार ने राजनीतिक फायदे के लिए अर्थव्यवस्था को ठप किया है और असली काले धन पर कुछ नहीं किया है. काला धन अब भी विदेश जा रहा है.

3. गरीब, मजदूर, किसान परेशान हैं. उनके घर में चूल्हा नहीं जल रहा है. सब्जीवाले के पास, किसान के पास सब्जियां सड़ गईं हैं. सरकार ने ऐसा क्यों किया इसका सही जवाब देना चाहिए.

4. 500 का हर नोट काला धन नहीं होता. ज्यादातर वो पैसा है, जिस पर टैक्स दिया जा चुका है.

5.इस फैसले का असर होगा कि अगले 2 तिमाही में विकास दर और गिरेगी. असली विकास दर 4 फीसदी के आसपास है जो इस फैसले से और कम हो जाएगी.

अर्थशास्त्री प्रोफेसर अरुण कुमार के मुताबिक ये हैं नोटबंदी के खराब असर

1. सरकार ने जाली करेंसी और काले धन को रोकने का लक्ष्य घोषित किया, लेकिन ये दोनों ही काम नहीं होंगे. काले धन का बड़ा हिस्सा कहीं न कहीं लगा होता है, सर्कुलेशन में होता है. इसलिए नोटबंदी से काला धन खत्म नहीं होगा.

2. काली कमाई हर साल करीब 93 लाख करोड़ होगी. कुल काला धन इससे 4 गुना होगा. जबकि काली कमाई में कैश का हिस्सा सिर्फ 1 या 2 फीसदी ही होगा.

3. लोग तरह-तरह से काला धन सफेद करने में भी लगे हैं. कई तरीके निकाल लिये हैं, जिसके कारण जो 3 लाख करोड़ तक कैश होगा भी वो भी पूरा सरकार को नहीं मिल पाएगा. अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान हो रहा है.

4. देश में 94 फीसदी लोग गैर-संगठित क्षेत्र में हैं, जिन्हें काफी मुश्किल हो रही है. कागज और इंक की कमी के कारण रद्द हुए नोटों की भरपाई में रिजर्व बैंक को 8-10 महीने या साल भर भी लग सकते हैं.

5. काली कमाई वालों से ज्यादा आम जनता परेशान है क्योंकि काली कमाई वाले रास्ते निकाल लेते हैं.

जाली नोटों का छपना बंद करना होगा और सिर्फ नोटबंदी से काम नहीं चलेगा. आतंकवाद पर काबू पाने के लिए भी दूसरे कदम उठाने पड़ेंगे, नोटबंदी से फर्क नहीं पड़ेगा. सरकार के कदम से मंदी आने का खतरा है. रोज़गार, उत्पादन, खपत और निवेश सबमें कमी आएगी. गरीब आदमी की परेशानी और बढ़ेगी. पैसे की किल्लत पैदा होगी. लोग सोने की तरफ झुकेंगे, विदेशी मुद्रा ज्यादा रखेंगे जिसका असर ये होगा कि अर्थव्यवस्था को धक्का लगेगा.

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